बाल कविता : देश हमारा - त्रिलोक सिंह ठकुरेला

Dr. Mulla Adam Ali
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Desh Hamara Bal Kavita : Trilok Singh Thakurela

Kavita Desh Hamara by Trilok Singh Thakurela

देश हमारा / त्रिलोक सिंह ठकुरेला

सुखद, मनोरम, सबका प्यारा।

हरा, भरा यह देश हमारा॥


नई सुबह ले सूरज आता,

धरती पर सोना बरसाता,

खग-कुल गीत खुशी के गाता,

बहती सुख की अविरल धारा।

हरा, भरा यह देश हमारा॥


बहती है पुरवाई प्यारी,

खिल जाती फूलों की क्यारी,

तितली बनती राजदुलारी,

भ्रमर सिखाते भाई चारा।

हरा, भरा यह देश हमारा॥


हिम के शिखर चमकते रहते,

नदियाँ बहती, झरने बहते,

“चलते रहो” सभी से कहते,

सबकी ही आँखो का तारा।

हरा, भरा यह देश हमारा॥


इसकी प्यारी छटा अपरिमित,

नये नये सपने सजते नित,

सब मिलकर चाहे सबका हित,

यह खुशियों का आँगन सारा।

हरा, भरा यह देश हमारा॥  

- त्रिलोक सिंह ठकुरेला

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