Khud Se Milna Chahti Hun Kavita : Ritu Verma Poetry
खुद से मिलना चाहती हूं
एक अरसा हो गया,
अब खुद से मिलना चाहती हूं।
भूल गई थी खुद को अब खुद से मिलना चाहती हूं।
माना कि हर इंसान जरूरी है,
पर खुद से ज्यादा जरूरी कोई नहीं
मैं य़ह समझना चाहती हूं।
मैं अब खुद से मिलना चाहती हूं।
औरों को हम लाख समझ ले
वो हमें समझ नहीं पाते।
दूसरों के समझने के चक्कर मे
न जाने हम कब खुद से ही मिल
नहीं पाते ।
समझ में तो तब आता है ,
जब हम बहुत अकेले होते हैं।
और जब तक हम ये बात समझते
तब तक न जाने कब खुद को खो दिए होते हैं।
इसलिए समय रहते समय से पहले
मै खुद को समझना चाहती हूं ।
औरों से मिलने से पहले मै खुद से मिलना चाहती हूं।
- रितु वर्मा
छत्तरपुर (दिल्ली)
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