Nidhi Mansingh Ki kavita : Lekhak Aur Kalam
कविता कोश में आज आपके लिए निधि 'मानसिंह' की हिंदी कविता "लेखक और कलम", पढ़े और शेयर करें।
लेखक और कलम
नही रूकूंगा अब मैं!
कलम चलाता जाऊंगा।
जो सो गए हैं निकम्मे,
उन्हें जगाता जाऊंगा।
जब बात आयेगे देश की
अच्छे - अच्छों को झुकाऊंगा।
अच्छा हो या बुरा हो
सब पर लिखता जाऊंगा।
कठिनाई कोई भी आए,
पीछे ना कदम हटाऊंगा।
जब बात आयेगे देश की
अच्छे - अच्छों को झुकाऊंगा।
आसान नहीं है ये सफर
पर मैं! तय कर कर जाऊंगा।
समय चाहे कितना भी सताए,
उसे हंसकर गले लगाऊंगा।
जब बात आयेगी देश की
अच्छे - अच्छों को झुकाऊंगा।
कदम - कदम पर त्याग करूंगा
सब सुख छोड़ता जाऊंगा।
चाहे कितने जन्म मिले?
हर जन्म मे कलम चलाऊंगा।
जब बात आयेगी देश की
अच्छे - अच्छों को झुकाऊंगा।
- निधि 'मानसिंह'
कैथल, हरियाणा
nidhisinghiitr@gmail.com
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