Nidhi Mansingh Poetry in Hindi : Mere Paas Hi To Ho
कविता कोश में आज आपके लिए लेकर आए हैं निधि मानसिंह जी द्वारा लिखी गई कविता "मेरे पास ही तो हो" पढ़े और शेयर करें।
मेरे पास ही तो हो
दूर हो तुम पर लगता है
मेरे पास ही हो तुम।
जिसे हर पल याद करती हूं
वो, अहसास ही हो तुम।
बादल बनकर बरस जाऊ मै
संमदर सी प्यास ही हो तुम।
पूछे मुझसे कलम ये मेरी?
बताओ मेरा विश्वास ही हो तुम।
उम्मीदों से भरी नमी तुम पत्थर
पर एक मुट्ठी घास ही हो तुम।
सूरज बनकर चमके अबंर मे
अंधकार में प्रकाश ही हो तुम।
जीवन भर मैने ढूंढा जिसको
मेरी वो आस ही हो तुम।
पाकर अब तुमको नही खोना
मेरे जीवन की सांस ही हो तुम।
- निधि 'मानसिंह'
कैथल हरियाणा
nidhisinghiitr@gmail.com
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