Poem on Relations in Hindi : Ritu Verma Poetry
Poem On Relationship In Hindi : Ritu Verma Ki kavita
रिश्ते
रिश्तों में है कितना लगाव?
रिश्तों के निभाने के तरीका में झलकता है।
हो चाहे वो कितने पास और दूर
उनके फिक्र में झलकता हैं।
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और कभी-कभी तो उनके बातों को
बिन बोले ही समझना पड़ता है।
तो कभी-कभी बोलते चेहरों से
दबी खामोशी को पढ़ना पड़ता हैं।
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रिश्तों के इस अपनेपन में तो
कभी उनके हल्की मुस्कान के पीछे
उनकी बेबसी को समझना पड़ता है।
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और कभी-कभी तो सब कुछ भुलाकर उनके खुशियों को आगे रखना पड़ता है।
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मन में चाहे जो भी हो रिश्तों को निभाने के लिए खुद से आगे रिश्तों को रखना पड़ता है।
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रिश्तों का ये अनोखा एहसास ही हमें
रिश्तों को जीना सिखाता है।
जब रिश्तों में हो ऐसा प्यार का रंग गहरा तो एक-दूजे को रिश्तों में जीना सिखाता हैं।
रितु वर्मा दिल्ली, (छत्तरपुर) |
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