World Book Day Special Poem On Books In Hindi : अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक दिवस पर एक कविता किताबों का साथ
Ritu Verma Poetry
किताबें!
जो देखने में बेज़ान सी लगती हैं।
पर पढ़ो इन्हें जब भी तो
ये हम में जान भर देती हैं।
ये हमें अपने अंदर की ज्ञान से
हमें भी परिस्थितियों के अनुकूल बनाती हैं।
जीवन के इस राह में आए
चाहे कितनी भी विपदा पर
हर मोड़ पर हमारा ये
मार्गदर्शन करती हैं।
अगर भटके जो हम अपने रास्ते
तो ये हमारी सारथी बनती हैं।
कभी हमें ये सुख का अनुभव कराती
तो कभी दुःखों से अवगत कराती हैं,
और जब ये मन बेचैन सा चंचल हो जाए तो अपने अंदर कि बातों से
हम में एक नई उम्मीद जगाती है।
जीवन के इस धूप-छाँव में
ये हमारे राहत का काम करती हैं।
जब भी इसे दूर से देखों तो
ये खामोश सी दिखती है,
पर अपने अंदर ये हमेशा
ज्ञान का सैलाब लिए ये फिरती हैं।
युग बीते या सदियाँ कितनी भी
हर बार ये अपना महत्व बताती है।
बदल जाए हर बार ये जमाना
पर किताबें नहीं बदलती हैं।
जब भी देखों इन किताबों को
ये बिना किसी भेदभाव के
सबका साथ निभाती हैं।
रहे साथ जो भी इन किताबों के
हर पल कुछ नया सिखाती है।
हर किसी के जीवन में किताबें
अमिट छाप छोड़ जाती हैं।
"पुस्तक दिवस की हार्दिक शुभकामनायें "📚📚
रितु वर्मा'
M.A-हिन्दी, (छत्तरपुर) नई दिल्ली
rituverma62382@gmail.com
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