Hindi Bal Kavita : Hindi Children Poem Suraj Dada
बाल कविता : सूरज दादा
अपनी मूँछें तान हैं बैठे
देखो सूरज दादा
आग के गोले गिर रहे हैं
पीले-पीले ज़्यादा।
घर से बाहर जाना भी
कर दिए मुहाल
ओढ़ लिए हैं अगिया चोले
हो गए हैं लाल।
हाय! रे भगवन कब बदलेंगे
अपना ये इरादा।
अपनी मूँछें तान हैं बैठे
देखो सूरज दादा।
कूलर एसी और पंखे में
ज़ोर नहीं है भाई
गरम-गरम सी हवा देते
ठंडक न ठंडाई।
छोड़ दो न अगिया चोले
पहन लो न सादा।
अपनी मूँछें तान हैं बैठे
देखो सूरज दादा।
जब तक ये ग़ुस्से में हैं
अपने घर में रहना
दादी माँ की लोरियों को
ध्यान लगाके सुनना।
पेड़ शजर लगाने पे हम
रहें सदा आमादा।
अपनी मूँछें तान हैं बैठे
देखो सूरज दादा।
- मो. ज़मील
अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार)
मौलिक, स्वरचित बाल कविता
ये भी पढ़ें; हिंदी बाल कविता: पेड़ है बच्चों
Hindi Bal Kavitayen, Hindi Kavita, Kavita Kosh, Hindi Children's Poems, Children's Poetry, Poem for Kids, Bal Kavita Suraj Dada, Mohd. Zamil Sarosh Poetry in Hindi...