Ho Gaya Mera Mundan Kavita by Badri Prasad Verma
Mundan Geet: कविता कोश में आज आपके लिए बद्री प्रसाद वर्मा 'अनजान' की कविता "हो गया मेरा मुंडन", पढ़े और शेयर करें।
हो गया मेरा मुंडन
कौवा मामा बाल ले गए
हो गया मेरी मुंडन।
मेरे सर का देखो पापा
हो गया महीमा मंडम।
सर पर मेरे बाल नही
सब कहते देखो टकला।
मैं तो छोटा बच्चा हूं
बोलता हूं हकला हकला।
मुंडन संस्कार पर मेरे
नाना नानी सब आए थे।
मेरे लिए बढ़िया बढ़िया
खूब उपहार लाए थे।
मुझे बधाई देने मेरी
बुआ फुफा जी आए थे।
चाचा चाची दादा दादी
सबके चेहरे मुस्काए थे।
बालों से देखो मेरा सर
एक दम हो गया खाली।
ओम यीशु और वैष्णवी
खूब बजा रहे ताली।
उपहारों को पा कर मैं
खुशी से हूं मैं कुप्पा।
मैं हरदम बोलता रहता
नहीं हूं मैं चुप्पा।
मुंडन हो जाने से
मन सबका खुश है भाई।
सभी लोग मिल के हमें
दे रहे खूब बधाई।
- बद्री प्रसाद वर्मा अनजान
अध्यक्ष स्वर्गीय मीनू रेडियो श्रोता क्लब
गल्ला मंडी गोला बाजार 273408
गोरखपुर उ. प्र.
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