Manvendra Subodh Jha Poem Kavita Ki Paribhasha
Manvendra Subodh Jha Poetry "Kavita Ki Paribhasha" in Hindi : कविता कोश में आज आपके लिए मानवेंद्र सुबोध झा द्वारा लिखी गई कविता "कविता की परिभाषा", सुंदर शब्दों में कविता की परिभाषा को बताने वाले इस कविता को पढ़े और साझा करें।
काव्य गंगा में बह रही निर्मल शब्दो का धार,
इसके नित पठन से खुलते मन के द्वार।
मन की व्यथा को यह हरे, चेतना पर धरे धार,
जैसे बरसे मेघ तब, जब कोई गाये मेघ मल्हार।।
मन की उदीप्ति का यह मंच है, या वृंत पुष्पों का हार,
साहित्य की अनुपम विधा, हिय के झंकृत करता तार।
काव्य मन का अक्स है, भाषा का पंथ बतलाये,
शब्दों की रमणीयता में, व्यक्ति भ्रमित हुई जाये।
जीवन की अनुभूतियों का है यह भ्रमर गीत
कवि के मन - आकाश की, है यह निर्मल प्रीति।
कवि के मन की उपज यह, आह से निकला गान
गीत, ग़ज़ल, दोहा, चौपाई आदि आदि पहचान।
मनोभाव की अभिव्यक्ति यह, है कल्पना का मंत्र,
राग रस इसमें जड़े, मोती सद्र्श रत्न।
प्रणय डोर में बांधते इसके नवलय छंद,
रचना इसकी करने को कवि उड़े अनंत। -२
- मानवेन्द्र सुबोध झा
शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश
ये भी पढ़ें; Satyamev Jayate Poem in Hindi : सत्यमेव जयते
Manvendra Subodh Jha Poetry in Hindi, Hindi Poetry, Kavita Kosh, Hindi Kavita, Kavita Ki Paribhasha Poem in Hindi, Kavita Kya Hai, Hindi Kavita Kosh...