Gav Par Kavita In Hindi : Poem On Village In Hindi
Hindi poem village : कविता कोश में गाँव के विषय पर श्री नरेंद्र राय की बेहतरीन कविता "मेरा गाँव मुझे लौटा दो", पढ़े और शेयर करें।
मेरा गाँव मुझे लौटा दो
ऊँचे ऊँचे बंगले लेलो, शहर कहाते जंगले लेलो
भीड़ भरी आबादी लेलो, महानगर उन्मादी लेलो।
जहाँ मेरा बचपन खेला, वो ठाँव मुझे लौटा दो,
मेरा गाँव मुझे लौटा दो।।
लंबे चौड़े रस्ते लेलो, मोटरगाड़ी हँसते लेलो
बड़े बड़े ये होटल लेलो, बंद दूध की बोतल लेलो।
पगडंडी पर मस्त दौड़ते, पाँव मुझे लौटा दो।।
मेरा गाँव मुझे लौटा दो।।
कैक्टस के ये बाग बगीचे, ये काँटों से भरे गलीचे,
सरसों के खेतों से कम हैं, सुंदरता बहकावा भ्रम हैं।
आँचल सी वो नीम की ठंडी छाँव मुझे लौटा दो।।
मेरा गाँव मुझे लौटा दो।।
अधनंगी सभ्यता शहर की, राजनीति की हवा जहर की,
फिल्मों की बेशर्म अदाएँ, मर्यादा को दाग लगाए।
नौटंकी के कला भरे वो भाव मुझे लौटा दो।।
मेरा गाँव मुझे लौटा दो।।
गोबर पुते मकान नहीं हैं, खेतों में वो मचान नहीं हैं
घंटी वाले बैल नहीं हैं, बच्चों के वो खेल नहीं हैं।
सुख दुख कहते, हाथ सेंकते, अलाव मुझे लौटा दो।।
मेरा गाँव पये लौटा दो।।
- श्री नरेंद्र राय
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