Rani Titli Hindi Kahani: बद्री प्रसाद वर्मा अनजान की कहानी रानी तितली

Dr. Mulla Adam Ali
0

Rani Titli Kahani in Hindi by Badri Prasad Verma

Rani Titli Kahani in Hindi by Badri Prasad Verma

Rani Titli Hindi Story - Hindi Kahani Rani Titli : बद्री प्रसाद वर्मा 'अनजान'  की हिंदी कहानी "रानी तितली", पढ़े और साझा करें।

हिंदी कहानी 

🦋 रानी तितली 🦋

- बद्री प्रसाद वर्मा अनजान 

एक फूलों का बगीचा था। उसमे सभी तरह के फूलों के पेड़ लगे हुए थे। बागीचे में बहुत सारी तितलियां रहती थी। उन्हीं में सपना तितली अपनी बेटी रानी तितली के साथ रहती थी। 

रानी तितली बागीचे की सभी तितलियों में सबसे सुन्दर थी। उसके पंख सात रंग के थे। जो बहुत चमकते थे। रानी तितली को सभी तितलियां बहुत चाहती और प्यार करती थी।

एक रोज रानी तितली अपनी मम्मी सपना तितली से बिना कुछ बताए दूर घूमने निकल गई। 

उड़ते उड़ते वह एक आम के बागीचे में जा पहुंची। 

आम के पेड़ों पर बहुत सारे आम के फल लगे हुए थे। 

आम के पेड़ो पर छिपकली और गिरगिट दिखाई दे रहे थे। 

रानी तितली एक पके आम के उपर बैठ कर उसका रस चूस रही थी तभी एक छिपकली उसकी तरफ आती हुई दिखाई दी, छिपकली को देख कर रानी तितल डर गई और छिपकली से पूछ पड़ी छिपकली बहन तुम मेरे पास क्यों आ रही हो? "

तुमको खाने के लिए! 

छिपकली बोल पड़ी। 

तभी रानी तितली बोल पड़ी मेरी एक शर्त है अगर तुम हमें पकड़ लोगी तो हमें खा सकती हो। बोलो हमारी शर्त मंजूर है?"

रानी तितली छिपकली से पूछ पड़ी।

"हां मुझे तुम्हारी शर्त मंजूर है! "

छिपकली बोल उठी। 

अगले ही पल छिपकली और रानी तितली में दौड़ शुरु हो गई। रानी तितली जिस डाल पर जाती छिपकली उस डाल पर कूद कर पहुंच जाती मगर वह रानी को पकड़ नहीं पाती। 

 इतने में छिपकली कूदते वक्त उसका पैर आम के पत्ते से फिसल गया और छिपकली पेड़ से जमीन पर आ गिरी, जमीन पर गिरते ही छिपकली के पेट फट गए और वह बचाओ बचाओ चिल्लाने लगी। 

 छिपकली की आवाज सुनकर ढेर सारी छिपकली उसके पास आ कर पूछ पड़ी यह कैसे हो गया। तुम तो बहुत चालाक बनती थी फिर गिर कैसे गई। 

 छिपकली ने अपनी सारी कहानी दूसरे छिपकलियों से कह सुनाई। 

छिपकली की बात सुनकर दूसरी छिपकली बोल उठी लालच का यही सजा मिलता है अब तो तुम्हारा बचना भी संभव नहीं है। हम तुमको बचा भी नहीं सकते हैं।

छिपकली कुछ देर तड़पने के बाद मर गई। 

छिपकली के मरने की खबर सुनकर रानी तितली बहुत खुश हुई और वहां से उड़ कर अपने फूलों के बागीचे की ओर चल पड़ी। 

इधर सपना तितली अपनी बेटी को ढूंढते ढूंढते बहुत परेशान हो गई उसका बागीचे में कहीं कोई अता पता नहीं चल रहा था। 

 इतने में रानी तितली वापस बागीचे में आ गई। 

 रानी को देख कर उसकी मां पूछ पड़ी तुम कहां चली गई थी बेटी हम तो तुमको ढूंढ ढूंढ कर बहुत परेशान हो गई थी। बताओ कहां से आ रही हो? "

 अपनी मां सपना तितली की बात सुनकर रानी तितली ने सारी कहानी अपनी मम्मी से कह सुनाई। 

रानी की बात सुनकर उसकी मम्मी बोल पड़ी अगर आज के बाद फिर कहीं बाहर घूमने गई तो वापस बाग में आने नहीं दूंगी। 

मम्मी की बात सुनकर रानी तितली बोल पड़ी अब ऐसी गलती कभी नहीं करुंगी मम्मी तुम हमें माफ कर दो। 

रानी की बात सुनकर उसकी मम्मी ने उसे प्यार से अपने गले लगा लिया। 

- बद्री प्रसाद वर्मा अनजान 

अध्यक्ष स्वर्गीय मीनु रेडियो श्रोता क्लब 
गल्ला मंडी गोला बाजार 273408गोरखपुर (उ.प्र)

 Also Read; दीनदयाल शर्मा की बाल कहानी - यह भी एक कहानी है

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top