मेरी भावनाएं मेरी कविताएं : Ritu Verma Poetry
मेरी भावनाएं मेरी कविताएं : कविता कोश में आज आपके लिए रितु वर्मा की 10 बेहतरीन कविताएं "मैं और मेरी कविताएं" नाम से आपके लिए, पढ़े और साझा करें।
1
रितु वर्मा की कविता "किताबें" : Poem on Books in Hindi - Ritu Verma Poetry
किताबें
ये किताबें जीवन में
बड़ी ही सच्ची साथी है।
हम से कभी भी ये न कुछ कहती है,
न कभी हम से शिकायत करती है।
बस खामोशी से हम इसे पढ़ें,
ये हम से बस आशा करती है।
जीवन के हर पहलुओं में क्या है?
ये हमें आईना दिखाती है।
हम कोई गलती न करे फिर से
न जाने कितने ये हुनर बताती है।
गलतियां गुस्सा तो हमें सब बताते है,
पर हमें ये हमेशा हम से ही मिलती है।
और सही-गलत क्या है ?
इस दुनियां में हमें ये फर्क बताती हैं।
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2
अपनापन पर रितु वर्मा की कविता : Apnapan Par Kavita In Hindi by Ritu Verma
अपनापन
जब हम किसी को अपनाते हैं।
तो उन्हें खुद से ज्यादा ही उन्हें
अपना मान बैठते है।
वो हमारे वफा का
बखुबी फायदा उठाते है।
और हम उन्हें नादानी समझकर
हर बार माफ़ किया करते हैं।
दर्द तो हमें भी होता है
उनके इस नासमझी पर।
फिर भी हर पल उनका
दिल रखने के लिए
हम मुस्कुराकर निकल जाते हैं।
3
प्रेम के विषय पर रितु वर्मा की बेहतरीन कविता : Hindi Kavita Prem by Ritu Verma
प्रेम
प्रेम सिखाता हैं।
जीवन के हर मोड़ पर
समर्पण हो जाना।
आए जब भी कोई मुश्किल जीवन में
तो प्रेम सिखाता है,
संयम से काम लेना।
प्रेम सिखाता है हमें आपस में मिल-जुलकर हमेशा रहना।
प्रेम सिखाता है हमें हर पल
हमेशा निःस्वार्थ एक- दूजे का
साथ बस निभाना।
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4
Sad Poetry In Hindi "Khuda Ka Saath" : रितु वर्मा की कविता खुदा पर "खुद का साथ"
खुद का साथ
ऐसा लगे जब साथ नहीं कोई।
तो खुद का हाथ थामना।
सारी दुनियां जब तुम्हें न समझे
बस तुम खुद को ही समझना।
लोग कहें जब तुमसे कुछ नहीं होगा।
तो खुद से ही सब कुछ होगा
अपने आप से ये कहना।
सब करेंगे अनगिनत सवाल तुमसे
पर जवाब बस खुद को देना।
मैं खुद के लिए खुद ही खास हूं ,
बस अपने आप से ये कहना।
5
रितु वर्मा की हिन्दी चंचल मन कविता : Chanchal Man Poem by Ritu Verma
चंचल मन
मन के ठिकाना का
कोई अंत नहीं होता है।
कभी ये इस ओर रहता
तो कभी उस ओर रहता है।
कभी ये आसमान छू जाने को कहता
तो कभी धरती तक सिमट
जाने को कहता है।
मन की अभिलाषाओं का
कभी अंत नहीं हो पाता है।
जब भी देखो इस मन को
अनगिनत लालसा लिए फिरता हैं।
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6
रितु वर्मा की कविता बेबसी : Bebasi Kavita Poem Shayari by Ritu Verma
बेबसी
बेबसी की दुनियां में
एक उम्मीद लगा रखी है।
सब कुछ खोने के बाद
कुछ पाने की उम्मीद लगा रखी हैं।
माना की सभी ख्वाहिशें पूरी
नहीं होगी पर जितनी भी पूरी होगी
उसकी उम्मीद लगा रखी हैं।
7
रिश्तों पर रितु वर्मा की कविता : Poem On Relationship In Hindi - Rishtey Kavita
रिश्ते
रिश्तों में नुमाइश करना
मुझे अच्छा नहीं लगता।
माना कि थोड़े भावुक है मग़र
पर सच्चे रिश्तों कि आजमाइश
करना अच्छा नहीं लगता।
यूँही नहीं निभाई जाती रिश्ते दिलों के
बड़ी-बड़ी बातों और वादे करके
रिश्ते निभाने के लिए जिगर होना चाहिए ।
हो अगर साथ निभाने कि तलब तो
एक गलती करे तो दूसरे को माफ़
करने कि अदब होना चाहिए।
आसान नहीं होता है,
किसी का हमसफ़र बनना।
हमसफ़र बनने से पहले रिश्तों में
एक-दूसरे को समझने कि जिक्र होना चाहिए।
8
रितु वर्मा की कविता बैचेनी : Hindi Kavita Bechaini by Ritu Verma
बैचेनी
न जाने क्यों कभी-कभी मन
इतना बेचैन सा हो जाता है।
ऐसा लगता बस हम ही ठहरे है,
और बाकी सब तेजी से
चला जाता है।
मन के इस उथल-पुथल में
सब गुम सा हो जाता है।
तब मानों ऐसा लगता है
जैसे मैं भ्रम में जी रही हूँ।
जिस दुनियां की मैं
कल्पना कर रही हूँ,
वो तो सिर्फ मेरे अन्दर ही है।
जब सच से हम जो रूबरू हुए तो
लगा वो तो बस एक मिथ्या हैं।
ढूंढ रहीं थी मैं जो दुनियां बाहर में
वो तो मुझे कभी मिला ही नहीं
और जो मिला मुझे उसे जान लिया तब मानों दुनियां ही मेरी बिखर गई।
बुनी थी जो मैं ख्वाब
उस सुन्दर दुनियां कि
मानों जैसे कभी वो थी ही नहीं।
9
रितु वर्मा की प्रेरणादायक हिंदी कविता "हर बार टूटती हूं" : Hindi Motivational Poem by Ritu Verma
हर बार टूटती हूं
हर बार टूटती हूं।
हर बार बिखरती हूं।
हर बार बिखरकर
खुद को फिर से पुनः
तैयार करती हूं।
सोचती हूं इस बार
चट्टान सा बन कठोर
खुद का निर्माण करुँगी।
पर क्या करु हर बार मैं
बेहिसाब बिखर जाती हूं।
फिर चारों ओर से प्रयास कर
फिर से खुद को तराशकर
चमकता सितारा बन
रोशनी सा तैयार करती हूं।
10
रितु वर्मा के अनमोल कथन : Ritu Verma Ke Anmol Suvichar
आजकल जो हम सब
बेहद व्यस्त हैं न जो
अपने फोन को स्क्रोल करने में
एक दिन जब ऐसा आएगा जब
हमारी जिंदगी ही हमें हमारे
जीवन में स्क्रोल करती चली जाएगी।
11
रितु वर्मा के अनमोल विचार : Best Hindi Quotes by Ritu Verma
जिंदगी तो हमें हमेशा ही
सब कुछ देने को तैयार बैठी है।
बस शर्ते ये है कि वो हमें
तब तक सब कुछ नहीं देती है।
जब तक हम उसे लेने के
काबिल न हो जाए।
- रितु वर्मा
नई दिल्ली
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