Anokha Safar Hindi Kavita by Ritu Verma
Ritu Verma Poetry: कविता कोश में आज आपके लिए रितु वर्मा की कविता "अनोखा सफ़र", पढ़े और शेयर करें।
अनोखा सफ़र
जिंदगी में एक अनोखा सफर चल रहा।
कुछ रुका सा है तो
कुछ रफ्तार में चल रहा।
पहले तो लगता था इस सफर में
बस हम ही अकेले हैं।
पर जब अपने चारों ओर
इक नजर को दौड़ाया तो
हर शख्स बैचेन और परेशान ही मिल रहा।
कोई किसी कारण व्यथित है तो कोई
आसपास स्वयं ही परेशानियो का जाला बुन रहा।
हर किसी के जीवन का बस
अपना ही एक दौर चल रहा।
कोई कुछ पाकर भी खोकर चल रहा
तो कोई सब कुछ खोकर भी
मानो सब पाकर चल रहा।
जीवन के इस सफर में
न जाने हम कितने चीजों को खो चुके है,
तो कितने चीजों को हम पा भी चुके हैं।
पर अक्सर ऐसा होता है....
कि पाने से ज्यादा हम खो चुके है,
उन पर ही अक्सर लगे होते हैं।
जबकि जीवन के सब पलो को अगर
हम स्वीकार कर लें तो .....
जिंदगी में तो हर पल आती ही है,
हर दिन हमे कुछ नया सीखा जाने को।
हर एक पल तत्पर रहती हैं
हमें कुछ नए तजुर्बे दे जाने को।
जो कभी हमे सख्त तो कभी नरम बनाने के
पथ सामने खड़ी रखती हैं।
हम टूट न जाए इन रास्तों पर
इसलिए ये हमारे आसपास का माहौल
हर पल तैयार रखती हैं।
कभी ये हम से सब कुछ छीन लेती है तो
कभी हमे सब कुछ देने को हर पल तैयार रहती हैं।
- रितु वर्मा
नई दिल्ली
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