Sabhyata Hindi Kavita : Hindi Poem on Civilization
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सभ्यता
पेड़ पौधे न रहे,
बारिश न आए
तो क्या हुआ?
हम तो जिएँगे गोली के सहारे।
वनों का सत्यानाश करके
वहाँ निवासस्थान बनाके
माटी के घड़ों में
पौधे लगाएँगे।
हड़ताल करके
बसों को जलाके
समाज सेवक बनेंगे।
बचे खुचे भोजन को
भूखे व्यक्ति को न देके
डस्ट बिन में डालके
मंदिरों के हुंडियों में पैसे जमाके
पुण्य कमाएँगे।
नित नवीन कवियों की चापलूसी करके
भाषा का उन्नयन करना भूलके
फ़िल्मों को नित नित
अति नवीन नाम दिलाके
भाषा का परिमार्जन करेंगे।
अपने गार्डन में
अपने हाथ लगाए पौधों को
आप नष्ट करके
दूर फेंक के
उस गार्डन में
क्रिकेट खेलना ही आज हमारी 'हॉबी' बन गयी है।
क्या आपने हमको पहचाना नहीं
हम हैं आज के सभ्य मानव।
- डॉ. नागलक्ष्मी
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