Vyang Rachana: Rajniti Ke Choreographer
व्यंग्य रचना : राजनीति के कोरियोग्राफर
बी. एल. आच्छा
राजनीति के कूट-चरण अब थिरकते नहीं हैं, तो नाद और लय में सिमटते भी नहीं है। एक प्लेटफार्म पर तत्थई-तत्थई करते कब दूसरे पाले में थिरकने लगते हैं,पता नहीं चलता। जब आँखें घुमाते हैं तो एक तरफ के लोग कुछ और समझते हैं, दूसरी कुछ तरफ के कुछ और। आँखों की कूटलीला को छिपाना -समझना आसान नहीं होता। रंग ऐसे जमाते हैं कि इधर के पाले के दर्शकों का दिल फटने लगता है और दूजे पाले में खिलने-सा लगता है। इधर हँसी, उधर उदासी। अब इन कयासों की उजली-अंधेरी सांझ में कदम थिरकते हैं, तो खबरों का सिलसिला चैनलों में तत्थई करने लगता है।
राजनीति भी कोई सीधी- सच्ची नचाई नहीं है। दिल के पैर पराये पाले में न दिखते हुए नाचने लगते है। तब गीत भी नही बजता -"तुझे चाहता कोई और है।" तब गठबंधन और गांठबंधन के अंदरुनी नृत्य कब पलटा- पलटी कर जाएँ, पता नहीं। यह अलग बात है कि बातों के रंग पक्के दिखते हैं, पर चतुर सुजान जेब में सुपर क्वालिटी का ब्लीचिंग पावडर भी साथ में रखते हैं। जबान के रंग भी पलट जाते हैं। ये बातें दिलों की नहीं, गणित की हैं। चुनावी अनुमान में भीड़ के सिग्नल की है। मैजिक आंकड़े की है।
इस मैजिक आँकड़े को कभी संवेदना की लहर चाहिए । कभी ज्योतिषियों की भविष्यवाणियाँ चाहिए। अभी राजनीति की आर्टिफिशियल इन्टेलिजेन्स का अवतार हुआ नहीं है। तो कंप्यूटरी बाबाओं से राजनीति के फेशियल का का नया कोण उपजा है। वे ही पॉली- मेथेमेटिक्स के गुरु बताते है। किस के साथ तत्थई की कौन- सी पदचाप मिलाकर घुंघरू बजाएँ तो सत्ता की कुर्सी के पाए स्थिर हो जाएं। उनका जातियों का डेटा-नृत्य। मास्टर स्ट्रोक का भैरवी राग। कजरारे- रंगरारे नयनों के इशारे। विकास और विनाश के विलोमी आँकड़ों का ग्राफिक- नृत्य। वोटों के बीच बम- फोड़ू तुरुप चाल। सोच के लिए सिर खुजलाते नेताओं के लिए भाषणों-नारों के इंजेक्शन।
पुराने चुनाव डंडियों- झंडियों से सजे बाजार बन जाते थे। अब पॉली-डान्सिंग में कोरियोग्राफरों की भूमिका। आँकड़ों का ग्राफ।पिछले चुनावों में जातीय समीकरण का एलजेब्रा गठबन्धन में सहेजने - फुसलाने के गणित। नफे-नुकसान की विश्वसनीय कवायद। चुनावी थियेटर में बाकायदा प्रशिक्षण -"एक कदम लेफ्ट, दो कदम लेफ्ट-टू-राइट। दो कदम उचक कर पीछे, एक कदम उचककर आगे।" अपने- अपने दल के दुपट्टों बीच गठबंधन के सेफ्टीपिन और वक्त-बेवक्त के लिए चुभती-चुभाती आलपिनें भी।
इस बार वे साथियों के सहित राजनीति के कंप्यूटर के पास गये। पर ये बाबा राजनीति के कारियोग्राफर भी हैं। राजनीति के नृत्य की कंप्यूटरी चाल के गणितीय विशेषज्ञ। पावर पाइंट से समझाते हैं। बात ज्योतिष की योगमाया की आई तो वे बोले- "तब ग्रहों की योगमाया को भूल जाइए। हम आपको आँकड़े देंगे। गठजोड़ के फेविकोल देंगे। इतिहास और भविष्य के दर्पण को सामने रखेंगे।" प्रतिप्रश्न था -"किसके साथ हमारा कलर मैच होगा और किससे कन्ट्रास्ट?" कोरियोबाबा बोले- "हम इसका अर्थमेटिक और एलजेब्रा दोनों समझाएँगे।"
फिर सवाल हुआ- 'पर आप तो हर चुनाव में किसी नये को पकड़ सकते हैं? फिर हमारा विश्वास?" वे बोले - "हम तो राजनीति के कोरियोग्राफर हैं। नाचते आप हैं, नचाने के गुर हम आपको दे रहे हैं। पर हम एक बार में एक ही की संगत करते हैं, किसी और की नहीं।" फिर सवाल हुआ -"यदि आपसे कॉन्ट्रैक्ट हुआ तो डंडियों-झंडियों का क्या होगा?" वे बोले - "यह सब आप कर लीजिए। हम मंच को वेशभूषा देंगे।चेहरे के फेशियल देंगे। जंतर-मंतर के जंत्र-मंत्र देंगे। नारे देंगे। चुनावी पैंच देंगे।" सवाल फिर हुआ -"लेकिन अब चुनावी नारों की काट के लिए क्या होगा?" वे बोले-" हमारे पास एक से एक काट है। नारे हैं। भाषा के फनकारों के स्पेशलिस्ट हैं। पुराने ऑडियो-विडियो हैं। विकास और विनाश के आँकड़े हैं। पुराने भाषणों से अपने मतलब की बात निकालकर उछालने के पेंच हैं।विरोधी भाषणबाजी की काट के हाजिर जवाब हैं। हम एक लाइन में ऐसा तत्थई करवाएँगे कि वे पन्द्रह दिन तक घुँघुरु में ही अटके रहेंगे।"
आखिकर एक लाइव ऑडियो विडियो दिखाकर राजनीति के कंप्यूटर बाबा ने अपनी कोरियोग्राफी से उनका मन मोह लिया।
बी. एल. आच्छा
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