आज का इंसान : Aaj Ka Insaan Hindi Kavita

Dr. Mulla Adam Ali
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Aaj ka insaan Hindi Kavita : Badri Prasad Verma Poetry

aaj ka insaan hindi poetry

Hindi Poetry Aaj Ka Insaan : बद्री प्रसाद वर्मा अनजान की हिंदी कविता इंसानियत पर "आज का इंसान", बच्चे मां बाप को ओल्ड एज होम में रखकर कुत्तों, बिल्ली जैसे जानवर पालने में शौक रख रहे हैं, माता पिता और पुत्र के लिए यह मार्मिक और दिल को छूने वाली कविता आज का इंसान। Poem on Today Human in Hindi..

आज का इंसान

मां बाप को अपने

वृद्धा आश्रम भेज कर

बहुत खुश हो जाता है

आज का इंसान।


मां बाप को साथ

उम्र भर नहीं रख पाता है

मां बाप को सर का बोझ समझता है

आज का इंसान।


घर में कुत्ते को दोनों वक्त खिलाता है

अपने साथ शौक से रखता है।

मगर मां बाप को साथ नहीं रख पाता है

आज का इंसान।


मां बाप को बुढ़ापे में

सर का बोझ समझने लगता है

मां बाप से नफरत करने लगता है

आज का इंसान।


मां बाप को वृद्धाश्रम भेज कर

फिर कभी उन्हें देखने

कभी जाता नहीं है

आज का इंसान।


मां बाप को बुढ़ापे में

खूर के आंसू 

रोज रुलाता रहता है।

आज का इंसान।

- बद्री प्रसाद वर्मा अनजान

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