शिक्षा का बाजार | Aaj Ki Shiksha Vyavastha | Shiksha Ka Vyapar

Dr. Mulla Adam Ali
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 Aaj Ki Shiksha Vyavastha Par kavita : Shiksha Ka Bajar

poem on education shiksha ka bajar

Poem on Education in Hindi : बद्री प्रसाद वर्मा अनजान की कविता आज की शिक्षा व्यवस्था पर "शिक्षा का बाजार", प्राइवेट स्कूलों में बढ़ती फीस को लेकर लिखी गई कविता, शिक्षा हम सबका अधिकार है लेकिन आजकल बढ़ती फीस की वजह से गरीब बच्चों के लिए शिक्षा मिलना मुश्किल है। शिक्षा के विषय पर बेहतरीन हिंदी कविता "शिक्षा का बाजार", poem on today education, Hindi Kavita Shiksha Ka Bajar...

शिक्षा का बाजार

कापी किताब और बैग सब

महंगी हो गई भाई।

बच्चों को पढ़ना लिखना जरुरी हो गया

शिक्षा का बाजार गर्म हो गया भाई।


प्राइवेट किताबों की कीमत

खूब बढ़ गई भाई।

अब तो बच्चों को

स्कूल फिर भेजना है भाई।


बढ़ गए स्कूल के फीस

सब भरना है भाई।

प्राइवेट स्कूलों की

बहुत मंहगी है पढ़ाई भाई।


खूब कमीशन ले ले कर

स्कूल की बढ़ गई कमाई।

शिक्षा एक रोजगार देखो

बन गया अब भाई।


सरकारी स्कूलों में सब कुछ मुफ्त है भाई

कौन कहता है सरकारी

स्कूल में होती नहीं पढ़ाई

अब तो अपने बच्चों को

सरकारी स्कूल में भेजो भाई।


प्राइवेट स्कूलों की लूट खसोट

तभी बंद होगी भाई।

सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों का

जब नाम लिखाओगे भाई।

- बद्री प्रसाद वर्मा अनजान

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