Bhola Ki Bahaduri Hindi Kahani : Hindi Bal Kahaniyan
कहानी : भोला की बहादुरी
भोला का घर सरयू नदी के पास था। उसके पापा नदी में स्टीमर से लोगों को नदी घुमाने का काम करते थे।
पापा के न रहने पर भोला स्टीमर चलाने का काम करता था।
सावन का महीना था और सरयू नदी में बाढ आई हुई थी।
भोला अपने स्टीमर पर बैठा हुआ था। उसके साथ कई और लोग नदी की सैर करने वाले बैठे हुए थे।
नदी तट पर भारी भीड़ नहाने वालों की लगी हुई थी। इतने में एक महीला का बेटा नदी में डूबने लगा। महीला जोर जोर से चिल्लाने लगी बचाओ मेरा बेटा नदी में डूब रहा है।
शोर सुनकर भोला अपनी स्टीमर तुरंत स्टाटॅ कर के बच्चे को बचाने के लिए चल पड़ा।
बच्चा बाढ और नदी की तेज बहाव के कारण दूर चला गया।
उस बच्चे का बस सर दिखाई दे रहा था। भोला पल भर में उस बच्चे के पास पहुंच कर उस बच्चे का हाथ पकड़ कर अपनी स्टीमर के पास आ कर स्टीमर को पकड़ लिया।
स्टीमर पर सवार दूसरे लोगों ने भोला और उस बच्चे को पानी से निकाल कर स्टीमर पर बैठा लिया।
बच्चे ने काफी पानी पी लिया था जिसे भोला ने उस बच्चे को स्टीमर में लेटा कर उसका पेट दबा कर पेट से पानी बाहर निकाल दिया।
अब बच्चे को होश आ गया था।
बच्चे को पकड़ने के कारण स्टीमर बह कर काफी दूर चला गया था।
भोला ने तुरंत अपना स्टीमर स्टाटॅ कर के पक्का घाट की ओर चल दिया।
डूबते बच्चे को बचाने के लिए स्टीमर में सवार सभी लोग भोला की हिम्मत की खूब तारीफ कर रहे थे।
इधर पक्का घाट पर बच्चे को देखने वालों की भारी भीड़ जमा हो गई थी।
जैसे ही भोला अपनी स्टीमर ले कर पक्का घाट पर पहुंचा कि
लड़के की मां अपने बच्चे को स्टीमर से निकाल कर अपने गोद में बैठा लिया और भोला को बच्चे को बचाने के लिए बहुत बहुत बधाई देने लगी।
बच्चे की मां ने भोला को उसकी हिम्मत पर अपने तरफ से जब एक हजार रुपया इनाम देने लगी तो भोला ने रुपया लेने से इंकार कर के बोला यह तो हमारा फजॅ था। हमें कोई इनाम नहीं चाहिए।
घाट पर खड़े सभी लोग भोला की दिलेरी की खूब तारीफ कर रहे थे।
- बद्री प्रसाद वर्मा अनजान
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