Bal kahani in hindi : Chabi Kho Gayi Children's Story in Hindi
Hindi Bal Kahani Chabi Kho Gayi by Badri Prasad Verma
चाबी खो गई
रुद्राक्ष बहुत शरारती लड़का था। उसकी उम्र चार साल की थी।
उसके पापा जब चार पहिआ गाड़ी कहीं जाने को ले जाते तो रुद्राक्ष पापा से चाबी ले कर अपने गाड़ी में लगाने लगता।
इसी तरह उसके पापा जब बाइक से कहीं जाने को घर से निकलते तो रुद्राक्ष पापा से बाइक की चाबी ले लेता था और खुद बाइक पर बैठ कर उसमे चाबी लगाता था।
अक्सर जब भी रुद्राक्ष को बाइक और कार की और घर की दूकान की चाबी दिखाई पड़ती तो रुद्राक्ष चाबी ले कर फाटक में लगे ताला में लगा कर उसे खोलने लगता था। मानों रुद्राक्ष चाबी का दीवाना हो गया था।
अगर किसी ने उसे चाबी नहीं दिया तो वह जमीन पर लेट जाता और जोर जोर से रोने लगता।
एक रोज तो रुद्राक्ष ने मुसीबत खड़ी कर दी। वह अपने बाबा के दुकान कर खेल रहा था तभी उसकी नजर दुकान की चाबी पर जा पड़ी चाबी देख कर उसने तुरंत चाबी उठा लिया जब उसके बाबा ने चाबी लेना चाहा तै वह रोने लगा बाबा ने उसे चाबी दे दिया और दुकान पर आए ग्राहकों को सामान देने में व्यस्त हो गए । और उनका ध्यान चाबी से बट गया।
रुद्राक्ष दुकान से घर चला गया। शाम को जब दुकान बंद करने का समय आया तो दुकान की चाबी की याद आ गई।
रुद्राक्ष ने चाबी कहां रख दिया पता नहीं चला।
चाबी के लिए सारा दुकान छान मारा मगर चाबी कहीं नजर नही आई।
रुद्राक्ष के चाचा विकी ने भी कई बार रुद्राक्ष से पूछा चाबी कहां रखा है मगर रुद्राक्ष कुछ न बता सका।
अंत में चाबी न मिलने पर ताला तोड़ा गया और दूसरा ताला लगाया गया।
रात भर उसके बाबा बहुत परेशान रहे सुबह आ कर भी उन्होंने चाबी खोजा दुकान झारा मगर चाबी दुकान में कहीं नजर नही आई।
दोबारा रुद्राक्ष के बाबा दुकान पर जब आए और दुकान में रखी तिजोरी जब खोलने लगे तो देखा चाबी तिजोरी के अंदर लगी हुई थी। चाबी देख कर रुद्राक्ष के बाबा हंस पड़े और सोचने लगे काश रात को तिजोरी देखी होती तो ताला तोड़ने की नौबत नहीं आती। चाबी मिल जाने की खबर पा कर घर के सभी लोग हंस पड़े।
- बद्री प्रसाद वर्मा अनजान
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