बाल कविताएँ : फहीम अहमद की दस बाल कविताएँ | Faheem Ahmad Ki Bal Kavitayen

Dr. Mulla Adam Ali
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Dr. Faheem Ahmad Poetry in Hindi : Bal Kavitayen

Faheem Ahmad Poetry in Hindi

डॉ. फहीम अहमद की दस बाल कविताएं : बाल साहित्यकार डॉ. फहीम अहमद की दस चुनिंदा बाल कविताएँ (बाल कविता संग्रह) 1. पूरे हफ्ते 2. मिस्टर बड़बड़ 3. चन्दा गया कहाँ 4. पटाखे 5. नई शरारत 6. गढ़ती हैं इंसान किताबें 7. नहीं बताना 8. हुजूर खरबूजे 9. नन्हे पिल्ले 10. अच्छे इंसान। बच्चों के हिंदी बाल कविताएं, फहीम अहमद की बाल कविताएं बच्चों के लिए शिक्षाप्रद, मनोरंजक, रोचक दस चुनिंदा बाल कविताएँ। बाल साहित्य के अंतर्गत बच्चों के लिए 10 कविताएँ। बच्चों के लिए 10 लघु कविताएं बाल कविता चित्र सहित बच्चों के लिए 10 कविताएँ हिन्दी में। Dr. Faheem Ahmad Hindi Poems for Kids, 10 Children's Poems in Hindi, Faheem Ahmad Ki 10 Bal Kavitayen in Hindi...

Faheem Ahmad Children's Poems in Hindi : फहीम अहमद की बाल कविताएं

बाल कविता पूरे हफ्ते

1. पूरे हफ्ते


सोमवार को गए घूमने

चिड़िया घर पापा के साथ।

मंगलवार निकाली हमने

अपने गुड्डे की बारात।


पढ़ीं किताबें तीन अनूठी

जब आया प्यारा बुधवार।

गुरुवार को दादा के संग

रोपे हमने पौधे चार


शुक्रवार गीली मिट्टी से

मैंने रचे खिलौने तीन।

दिन शनिवार रफ़ी चाचा संग

मैं खूब बजाई बीन।


आया जब रविवार मजे से

खेल खेल बहन के साथ।

इसी तरह से हँसते-गाते

बीते हफ्ते के दिन सात।


बाल कविता मिस्टर बड़बड़

2. मिस्टर बड़बड़


इनसे मिलिए अजब अनूठे

ये हैं मिस्टर बड़बड़!


चलती है जबान इनकी ज्यों

चलती कोई चक्की।

बिन बोले रह ही ना पाते

लगते पूरे झक्की।


गरजा करते शाम सवेरे

जैसे बादल गड़गड़।


बातें करते हैं चिल्ला कर

शब्द शब्द में खटपट।

बातों की पतंग पहुंचाते

दूर गगन तक झटपट।


भोपूं जैसे बजते रहते

करें कान में गड़बड़।


नमक मिर्च वे खूब लगा कर

बातें करते पूरी।

पिंड छुड़ाना होता मुश्किल

सुनना है मजबूरी।


जो भी इनकी बात सुने

ना उससे जाते लड़ लड़।


बाल कविता चन्दा गया कहाँ

3. चन्दा गया कहाँ


अभी अभी हँस रहा वहाँ था

अम्मा चन्दा गया कहाँ ?


अम्मा बोली देखो नभ में

फिरते हैं बादल बंजारे।

काले बादल ने भालू बन

छिपा लिया तेरा चन्दा रे!


चन्दा की थाली में रवा

भालू चाटे शहद वहाँ।...


भागा झल्लर-मल्लर भालू

हँसती आई परी अनूठी।

कथा सुनाकर दूर कर रही

चन्दा की सब रूठा रूठी।


उसकी गोदी में छिप सोया

देखा, है क्या खूब जहाँ।


देख डाइनासोर अचानक

भागी परी, चाँद घबराया।

तेज हवा ने एक फूँक में

उसको फौरन मार भगाया।


चन्दा बोला, हवा बहन रुक,

आ हम खेलें साथ यहाँ।


बाल कविता पटाखे

4. पटाखे


गूंज रहे हैं गली मुहल्ले

दगते धूम-धड़ाम पटाखे।


अरे सम्हल कर इन्हें जलाओ

जल जाएँ तो पास न जाओ।

भैया हमको यह समझाएं

रहो सुरक्षित, मौज मनाओ।


बरती अगर सावधानी तो

खुशियों का पैगाम पटाखे।


शोर मचाते बच्चे सारे

धूम-धड़ाका खूब मचा रे।

दगे पटाखे, बजे तालियाँ

छूटे खुशियों के फव्वारे।


हंसी खुशी से भरे लबालब

बाँट रहे ईनाम पटाखे।


ज्यादा जो जल गए पटाखे

फैले चारों तरफ धमाके।

और प्रदूषण फैलेगा तब

इसे चलाओ जरा बचा के।


ध्यान रहे इन बातों का भी

कहीं न हों बदनाम पटाखे।


बाल कविता नई शरारत

5. नई शरारत


सोच रहा हूं नकली मेंढक

रख दूं रवि के बस्ते में।


सबसे पहले अंकल जी के

बंद करूं सारे खर्राटे।

अजी नाक में दम कर देते

जैसे पड़े गाल पर चांटे।

लाकर भोंपू अभी बजाऊं

उठ जाएंगे सस्ते में।


बड़ी चटोरी लल्लो रानी

हरदम खाती चाट-पकौड़ी।

आइसक्रीम अभी खाई है

चॉकलेट लेने अब दौड़ी।

चाट-पकौड़ी जब वह खाए

मिर्च मिला दूं खस्ते में।


पिंकू जी डरपोक बड़े हैं

चूहे से थरथर कांपें।

बिल्ली जब देखें तो डर के

घर का ही रास्ता नापें।

पिंकू जी आने वाले हैं

डॉगी भेजूं रस्ते में।


बाल कविता गढ़ती हैं इंसान किताबें

6. गढ़ती हैं इंसान किताबें


हैं सुंदर उपहार किताबें,

ज्ञान भरा संसार किताबें।

लाती हैं सबके जीवन में,

हर दिन नई बहार किताबें।


हैं सबसे अनमोल किताबें,

बोलें मीठे बोल किताबें।

जब अँधियारा पड़े दिखाई,

देतीं रस्ता खोल किताबें।


दें उमंग भरपूर किताबें,

करें निराशा दूर किताबें,

नया हौसला देती उनको,

हैं जिनको मंजूर किताबें ।


रहतीं जिसके पास किताबें,

हैं कोमल एहसास किताबें।

जीवन को सुगंध से भर दें,

लातीं नया उजास किताबें।


करें ज्ञान का दान किताबें,

दिलवाती सम्मान किताबें।

मानवता का पाठ पढ़ाकर,

गढ़ती हैं इंसान किताबें।


बाल कविता नहीं बताना

7. नहीं बताना


बात किसी से नहीं बताना

तुमको मेरी कसम रही।


चुपके-चुपके गया घूमने

मैं माली काका के बाग

ज्यों ही लीची तोड़ी काका

गए नींद से फौरन जाग


हुआ वहां से नौ दो ग्यारह

चप्पल छूटी आज वहीं।


रस्ते में फिर मैंने की थी

हरकत काफी ऊटपटांग।

सोती बकरी के ऊपर से

भागा था मैं मार छलांग।


ना बोलूंगा अगर किसी से

जो तुमने यह बात कही।


ढूंढ रहा है अपना डंडा

देखो, लड्डुन चौकीदार।

छिपा दिया है डंडा उसका

मुझे नहीं पाएगा मार


हमे न देता खुद ही पीता

लोटा भर-भर रोज दही।


बाल कविता हुजूर खरबूजे

8. हुजूर खरबूजे


बड़े दिनों के बाद हमारे घर

आए हुजूर खरबूजे।

बेहद खुशबूदार रसीले

सूरत इसकी गोलू मोलू।

एक उठा ले भागी मुनिया

एक ले गए भैया भोलू।

बोले मुझे लुभाते हैं ये

खाऊँगा जरूर खरबूजे।

चुन्नू बोला कैसे खाऊँ

मुझे काटना भी न आता।

छील काट कर दे दे कोई

अब तो मुझसे रहा न जाता।

जब तक मिले नहीं खाने को

देखूँ घूर घूर खरबूजे।

गरमी दूर भगाने वाला

फल यह कितना प्यारा लगता।

कितने सारे बीज भरे हैं

स्वाद अनूठा मन को ठगता।

याद बहुत आएँगे सचमुच

फिर जो गए दूर खरबूजे।


बाल कविता नन्हे पिल्ले

9. नन्हे पिल्ले


छोटे से गड्ढे में नौ-दस

पिल्ले करते खुसुर फुसुर

खेल रहे आपस में सारे

करते धक्कामुक्की

गुत्थमगुत्था हुए जा रहे

लगे दोस्ती पक्की

बाते करते हैं आपस में

गाते कूँ-कूँ गीत मधुर

वहीं गधा जब बोला चींपों

हुए सभी चौकन्ने 

डर के लगे छिपाने मुँह वे

सहमें नन्हें-मुन्ने।

पास न अम्मा इसीलिये दिल

उनके करते धुकुर-पुकुर

रुप दूधिया इतना प्यारा

लगें रुई के गोले

आंखों में है प्यार झलकता

सूरत से हैं भोले

पास उन्हें जाकर पुचकारा

लगे देखने टुकुर-टुकुर।


बाल कविता अच्छे इंसान

10. अच्छे इंसान


रखें जो मात-पिता का ध्यान

वही तो हैं अच्छे इनसान।


रहें नफरत से कोसों दूर

करें जो अहंकार को चूर

प्रेम हो सबके प्रति भरपूर


सुनाएँ जो मंगलमय गान

वही तो हैं अच्छे इनसान।


हटाएँ जो रस्तों से शूल

खिलाएँ सद्भावों के फूल

ईर्ष्या पल में जाएँ भूल


करें हर मजहब का सम्मान

वही तो हैं अच्छे इनसान।


रहें जो सच्चाई के साथ

न छोड़ें मुश्किल में भी हाथ

द्वेष को पल में दे दें मात।


न खोएँ जो अपना ईमान

वही तो हैं अच्छे इनसान।


- डॉ. फहीम अहमद

असिस्टेंट प्रोफेसर हिन्दी, एमजीएम कॉलेज,

संभल, उत्तर प्रदेश

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