Hindi Poetry flowers of desire : Hindi Kavita Akankshawon Ke Phool
Flowers of Desire Hindi Poem : इच्छा के विषय पर बेहतरीन कविता "आकांक्षाओं के फूल", पढ़े और शेयर करें। हिंदी बेहतरीन कविता आकांक्षाओं के फूल, इच्छा पर हिंदी कविता, हिंदी कविता आकांक्षा।
आकांक्षाओं के फूल
मेरी आकांक्षाओं के फूल
खिलने लगे हैं
लेकिन सुरभि कहाँ है
धूल को पराग समझकर
मैं प्रतिभाहीन हो गया हूँ
मेरी जो शक्ति थी
उसका अस्तित्व
पत्थरों-कंकड़ों में
दब गया है
या फिर
शोलों में जल गया है।
मेरी आकांक्षाओं के फूल
खिलने लगे हैं
प्रगति का एक हाथ
मेरी ओर बढ़ा है
उन्नति का एक हाथ
थप्पड़ की तरह लगा है
जो कि मेरी झोंपड़ी के ठूंठों पर
दीमक बस गई है
फिर भी
मैं अपराजित नहीं
निराश नही
फावड़ा मेरे कंधे पर है
स्नातकोत्तर डिग्री के साथ
और संतों की सत्संगति के बाद
प्रसाद खाकर जीऊँ
या पसीने की रोटी खाऊँ?
मेरी आकांक्षाओं के फूल
खिलने लगे हैं
ओस से भींग-भींग कर
स्नातक बन रहे हैं
मैं आँसुओं से भींगी आँखें
उठाए देख रहा हूँ-
मेरी सहेली आजादी
मुझसे मिलने आएगी
मुझे भी सम्मान मिलेगा
मुझे भी अनुदान मिलेगा
किंतु यह क्या.....
गर्म हवा
मुझे कुत्ते की तरह डाँटकर
आगे बढ जाती है-
"बेवकूफ! डरपोक!
खाक छानते रहो
तुम्हें न पानी / न रोटी
उद्देश्य विहीन भुजाएं
व्यर्थ ही तानते रहो।'
मेरी आकांक्षाओं के फूल
खिलने लगे हैं
क्या यह सच है
गुलाबी राजनीति में
जीने वाले गुलाबी नेताओं
गुलाबी अधिकारियों के
भवन भी गुलाबी हो गए हैं
और- क्या
उनके भाषणों से
गुलाबों की सुगंध
आने लगी है?
- डॉ. मनहंस कुमार 'नील'
ये भी पढ़ें; ख़्वाब पर एक कविता | स्तुति राय की कविता | Khwab Poem In Hindi