Janmon Sa Nata Hindi Kavita : Hindi Poetry by Dr. Faheem Ahmad
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प्रेरणादायक हिंदी कविता जैसे हो जन्मों का नाता : जन्मों सा नाता कविता - Poem Janmon Sa Nata
जैसे हो जन्मों का नाता
साल पुराने, तुम्हें अलविदा
कहता हूँ मैं हँसता-गाता।
संग तुम्हारे हँसी-ठिठोली
की हमने बनके हमजोली।
साथ मनाई हमने मिलके
ईद, दिवाली, क्रिसमस, होली।
काश! तुम्हारे साथ अभी मैं
खुशियों के पल और बिताता।
खेले - कूदे साथ तुम्हारे
देखे हर दिन नए नज़ारे।
बहुत लगन से पाई मंज़िल
अब कदमों में चाँद-सितारे।
यादगार जो कुछ भी है वह
हमसे नहीं भुलाया जाता।
साथ तुम्हारा बड़ा निराला
खट्टी-मीठी यादों वाला।
कभी हँसाया, कभी रुलाया
गिरे अगर तो हमें सम्हाला।
अब तुम जाते हो तो लगता
जैसे हो जन्मों का नाता।
- डॉ. फहीम अहमद
असिस्टेंट प्रोफेसर हिन्दी, एमजीएम कॉलेज,
संभल, उत्तर प्रदेश
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