चेहरे पे चेहरा : Hindi Poem Chehre Pe Chehra

Dr. Mulla Adam Ali
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Hindi Poem Chehre Pe Chehra : चेहरे पे चेहरा

Hindi Poem Chehre Pe Chehra

Hindi Sad Poetry on Two Faced People : कविता कोश में आज की हिंदी कविता "चेहरे पे चेहरा", पढ़े और शेयर करें।

चेहरे पे चेहरा

चेहरा जो किसी शख्स का

दिखता है सभी को,

अक्सर वो उस शख्स का

चेहरा नहीं होता।


हकीकत न छिप सकेगी

कोई लाख छिपा ले,

खुशबू पे किसी फूल के

पहरा नहीं होता।


गुजरे हैं कई नश्तर

दिल के आर-पार,

पर पीठ में खंजर - सा

ज़ख़्म गहरा नहीं होता।


नाकामियों का मत कर

तू दिल में यू अफसोस

दुनियाँ में हर इक सर पे

तो सहरा नहीं होता।


की अनसुनी हैं गालियाँ

दोस्ती के नाम पर,

क़यामत के गुज़रने तक

कोई हरा नहीं होता।


पालें सभी आस्तीन में

हैं नाग निराले,

बस इतने से हर कोई

सँपेरा नहीं होता।


प्रेमी न लगा आस तू

बेदर्द जमाने से,

मुर्गा न जो दे बाँग तो

क्या सवेरा नहीं होता।

- संजय जोशी 'प्रेमी'

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