Birds Poems in Hindi - Poem In Hindi Kavita Kahna De
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बच्चों के लिए पक्षियों पर खाना दे : Hindi Kavita on Birds
खाना दे
अम्मा-अम्मा खाना दे
चावल का एक दाना दे।
हम दिन भर के भूखे हैं,
होंठ हमारे सूखे हैं।
छोटा-सा है अपना घर
नन्ही-सी इस डाली पर
पंख हमारे कच्चे हैं
हम तो नन्हे बच्चे हैं।
वरना कब के जाते उड़
लाते चावल, मिसरी-गुड़।
अपनी तो मजबूरी है
खाना अभी जरूरी है।
खा-पीकर बढ़ जाएँगे
हम ऊँचे उड़ जाएँगे।
साथी शोर मचाते हैं
देखो हमें बुलाते हैं।
जल्दी बड़ा करो हमको
भूलोगी सारे गम को।
अम्मा कहीं न फिर जाना
दाने ला देंगे खाना।
- डॉ. फहीम अहमद
असिस्टेंट प्रोफेसर हिन्दी, एमजीएम कॉलेज,
संभल, उत्तर प्रदेश
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