Hindi Kavita : Kya Khoya Kya Paya Humne
Hindi Poetry
Kya Khoya Kya Paya Humne
क्या खोया क्या पाया हमनें?
पाने और खोने का सिलसिला निरंतर है,
फिर भी उसमें काफी अंतर है।
कुछ भी जब अनजाने में मिलता है,
हृदय खुशी से प्रफुल्लि सा होता है।
वहीं न जाने कुछ जब खो जाता है,
अंतर से हृदय व्यथित हो जाता है।
मनुष्य योनी में जन्म ही,
जीवन की सबसे बड़ी सार्थकता है।
ज्ञान बुद्धि बल से कुछ करने की लालसा है।
क्या अन्य योनी वाले इससे बेखबर है?
जी नहीं ! उन्हें भी सत्य की परख है।
शैशवका लाड़ प्यार,
माता-पिता भाई बहन का दुलार,
सगे-संबंधी कुटुबं में मेरी पहचान,
मित्रों का साथ व गुरु का आशीर्वाद।
क्या इस पाने को हम पाते नहीं जान?
सृष्टि का यही है सबसे उत्तम वरदान।
फिर भी कुछ खोने के गम में
क्यों डूब जाते हैं हम?
घर आई खुशी को,
क्यों भूल जाते हैं हम?
खोने के गम में ही
पाने का मार्ग खुला होता है।
समझ कर भी ना समझ बन,
मरीचिका में भटक जाते हैं हम।
मानव की रचना ही सृष्टि की
सबसे बड़ी कृति है।
यह ईश्वर द्वारा
महत उदेश्य की पुष्टि है।
हमारे हर कर्मों के पीछे,
कोई तो कारण व परिणाम होगा?
जिससे जाने व अनजाने में
सृष्टि का संवर्धन होता।
पाने के पीछे भी कारण है,
खोने के पीछे भी कारण है।
इसलिए खोने व पाने का हिसाब न कर,
हे मानव तू बस होनी को परखा कर।
जो सम्मुख है उसे जान ले,
अपने करम के महत को पहचान ले,
जो खोया वह खोना ही था,
क्यों कि वह अपना ही न था।
इसलिए खोने के गम से
मुक्त हो लो,
जीवन के हर पल को,
खुशी से जी लो।
पाने को तलाशो उस खोने की आड़ में,
इसी में आनंद है, अन्यथा जीवन कष्ट का संगम है।
पाने खोने के जोड़ घटाव में जब तक उलझे रहोगे,
जीवन के मकड़जाल को न समझ पाओगे।
न उलझाओ अपने को
इन व्यर्थ की बातों में
सार्थक कर दो जीवन को
समाज की सांसों में
जीवन और जन्म ही सबसे बड़ा पाना है।
उसके समक्ष जो खोया अति बौना है।
जो खोया अति बौना है......
- उमा पटनायक
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