Geet : Le Chal Re Manav Us Dwaar
गीत
ले चल रे मनवा उस द्वार
ले चल रे मनवा उस द्वार
जहाँ नहीं हो कोई विकार
हँसता मुस्काता हर पल हो
जहाँ हो अपनत्व और प्यार
ले चल रे मनवा उस द्वार।
हर कोपल में मर्यादा हो
डाल-डाल पर सत्य पला हो
हिंसा से दूर हर पौधा हो
जहाँ चले अहिंसा बायास
ले चल रे मनवा उस द्वार।
ना नदिया का पानी सूखे
ना बिन पानी मछली तड़पे
ना कलियों को कोई कुचले
जहाँ कोई न हो अनाचार
ले चल रे मनवा उस द्वार
रिश्तों में न टूटन आये
पर-हित हर - हिय में जड़ जाये
कोई किसी को छल नहीं पाये
हो रिश्तों में स्नेह दुलार
ले चल रे मनवा उस द्वार।
कोयल सी मीठी हो बोली
प्रीत भरी हो सबकी झोली
सबको मिले रहने को खोली
जहाँ हो समता- -अधिकार
- जगदीश तिवारी
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