Mahalakshmi Diwali Poem in Hindi
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Poem on Diwali in Hindi : Deepawali Par Kavita Mahalakshmi Diwali Poem in Hindi
कविता महालक्ष्मी दीपावली
महालक्ष्मी - दीपावली
माँ लक्ष्मी का दरबार सजा है,
जगमग जगमग दीप जले हैं !
दूर हुआ अंधेरा देखो,
खुशियों के सब फूल खिले हैं !!
जगह-जगह छूटते पटाखे,
कहीं-कहीं फुलझड़िया हैं !
बाँट-बाँट सब खाते मिठाई,
कितनी सुहानी घड़ियाँ हैं !!
राजा - रंक बने सब याचक,
खडे हैं हाथ पसारे !
हाथ जोड़ कर विनती करते,
"माँ ! आयें द्वार हमारे " !!
महालक्ष्मी घूम-घूम कर,
अपना कोष लुटाती है !
भेद-भाव ज़रा नहीं करती,
सबके द्वारे जाती है !!
पर मिलता है उतना ही सबको,
जितने के वे भागी हैं !
ऋषि-मुनि कहाँ खोजते,
वे घर- महलों के त्यागी हैं !!
जग-जग रहे घर-द्वार सभी के
सजी रहे सबकी फुलवारी !
घर-घर लौटें राम विजय हो,
यही कामना है हमारी !!
माँ लक्ष्मी का दरबार सजा है,
जगमग जगमग दीप जले हैं !
- आदित्य प्रकाश सिंह
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