दीपावली के विषय पर बेहतरीन कविता : महालक्ष्मी दीपावली | Mahalakshmi Diwali

Dr. Mulla Adam Ali
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Mahalakshmi Diwali Poem in Hindi 

Diwali Hindi Kavita

Poem on Diwali in Hindi

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Poem on Diwali in Hindi : Deepawali Par Kavita Mahalakshmi Diwali Poem in Hindi

कविता महालक्ष्मी दीपावली

महालक्ष्मी - दीपावली


माँ लक्ष्मी का दरबार सजा है,

जगमग जगमग दीप जले हैं !

दूर हुआ अंधेरा देखो,

खुशियों के सब फूल खिले हैं !!


जगह-जगह छूटते पटाखे,

कहीं-कहीं फुलझड़िया हैं !

बाँट-बाँट सब खाते मिठाई,

कितनी सुहानी घड़ियाँ हैं !!


राजा - रंक बने सब याचक,

खडे हैं हाथ पसारे !

हाथ जोड़ कर विनती करते,

"माँ ! आयें द्वार हमारे " !!


महालक्ष्मी घूम-घूम कर,

अपना कोष लुटाती है !

भेद-भाव ज़रा नहीं करती,

सबके द्वारे जाती है !!


पर मिलता है उतना ही सबको,

जितने के वे भागी हैं !

ऋषि-मुनि कहाँ खोजते,

वे घर- महलों के त्यागी हैं !!


जग-जग रहे घर-द्वार सभी के

सजी रहे सबकी फुलवारी !

घर-घर लौटें राम विजय हो,

यही कामना है हमारी !!


माँ लक्ष्मी का दरबार सजा है,

जगमग जगमग दीप जले हैं !

- आदित्य प्रकाश सिंह

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