Poem on Mother in Hindi : Maa Par Kavita in Hindi - MAA Kavita
Poem about Mother in Hindi : माँ वीणा वादिनी का कोटि कोटि वंदन व नमन। मित्रों आज आपके समक्ष प्रस्तुत है माँ के विषय पर बेहतरीन मानवेन्द्र सुबोध झा की कविता "माँ ईश्वर की अनुपम संरचना", दुनिया के हर माँ को समर्पित ये कविता पढ़े और साझा करें।
माँ ईश्वर की अनुपम संरचना
हे जननी, हे करुण तरंगिणी,
शत शत नमन तुम्हें है मेरा।
मेरे ज्ञान को तुमने जगाया,
संस्कार दे मान दिलाया।
तुम हो ममता की भंडार,
ईश्वर का तुम दूसरा नाम।
मेरी पीड़ा को हर लेती,
स्वयं अश्रु मेरे पी लेती।
मेरे चेहरे पर जब छाये उदासी,
कर दुलार निदान तुम करती।
मेरी आँखों के आंसूं को,
अपनी आँखों में भर लेती।
सत्य पथ पर हम गमन करे,
सदा ध्यान तुम इसका रखती।
स्वयं भूखी रहकर भी मुझको,
दूध मलाई और मक्खन देती।
माँ मेरी तुम अतिशय प्यारी,
जग से बिलकुल न्यारी हो।
मेरे स्वप्न कर सको पूर्ण,
रात रात भर जागी हो।
माँ तुम गोद सुहानी हो,
तुम परियों की कहानी हो।
तुम ही हो वह दर्पण मेरा,
जो समझता मेरी नादानी को।
घर को नित्य नया करतीं,
रिश्तों में तुम रंग भरती।
फटे पुराने वस्त्रों में माँ,
तुम गंगा सी मुझको लगती।
तुम हो ईश्वर की अद्भुत संरचना हो,
वंदन करूँ मैं सदा आपका।
न दे सका माँ तुमको कुछ भी
कृतज्ञ रहूँगा माँ सदैव ही आपका।
कृतज्ञ रहूँगा माँ सदैव ही आपका।
- मानवेन्द्र सुबोध झा
शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश
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