Rajendra Verma Poetry in Hindi : Poem on Premchand Story Sadgati Character Ghasiram and Chamar
Rajendra Verma Ki Hindi Kavita : दोस्तो, कविता कोश आज एक नवगीत। इसमें प्रेमचंद की कहानी 'सद्गति' के पात्र- घासीराम और दुखी चमार का उल्लेख प्रतीक के रूप में हुआ है। राजेन्द्र वर्मा की कविता "इतना ही काफी है", कहानी सद्गति के पात्र पर आधारित राजेन्द्र वर्मा की कविता 'इतना ही काफी है', पढ़े और शेयर करें।
इतना ही काफी है
साँझ-तलक कैसे भी मिल जाए
गर्म रोटी पर नमक-तेल,
इतना ही काफी है।
घासी ने दुक्खी को चाँप लिया,
हूक दबाता ही रह गया हिया,
मौन रहा पसरा ही गली-गली,
तैल बिना आख़िर बुझ गया दिया,
फिर गौरय्या को घेरे है बाज़,
तुम उस पर तान दो गुलेल,
इतना ही काफी है।
सुबह-शाम बस, पूजा- अराधना,
सीख ली, हवा में गाँठ बाँधना,
देह धरे को दंड कहे, लेकिन
फलित करे अपनी छद्म-साधना,
पाखंडी ही आज बना विद्वान,
तुम बिगाड़ दो उसका खेल,
इतना ही काफी है।
हर कोई पूँजी के पाँव-तले,
श्रमिकों की छाती पर मूँग दले,
वक़्त नहीं यह चुप रह जाने का,
सौंह तुम्हें, जो तुमने होंठ सिले,
रोटी को भी लूट रहा है जो,
तुम उसको पहुँचा दो जेल,
इतना ही काफी है।
- राजेन्द्र वर्मा
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