Poem on Munshi Premchand Jayanti : आज के परिप्रेक्ष्य में प्रेमचंद
Premchand Jayanti 2024 : आज सोमवार 31 जुलाई 2024 मुंशी प्रेमचंद जयंती है, उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के पास लमही गांव में हुआ था। प्रेमचंद का बचपन का नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा, लेख संस्मरण आदि अनेक विधाओं में प्रेमचंद ने साहित्य सृजन किया है। इन्होंने लगभग एक दर्जन उपन्यास लिख चुके हैं जिसमे गोदान, गबन, निर्मला, सेवासदन, रंगभूमि, कर्मभूमि, कायाकल्प, प्रतिज्ञा आदि प्रमुख है। प्रेमचंद ने तीन सौ से अधिक कहानियां लिखा है इनके कहानियां मानसरोवर नाम से आठ खंडों में संकलित हैं। बड़े घर की बेटी, कफ़न, ठाकुर का कुआं, बड़े भाई साहब आदि इनकी प्रमुख कहानियां हैं। आइए आज 31 जुलाई प्रेमचंद जयंती पर शिवचरण चौहान द्वारा लिखी गई कविता "प्रेमचन्द जी गुमसुम बैठे" पढ़ते हैं।
31 जुलाई मुंशी प्रेमचंद जयंती विशेष
प्रेमचन्द जी गुमसुम बैठे
प्रेमचंद गुमसुम बैठे
बेहद शर्मिंदा हैं।
होरी, धनिया,गोबर
जस के तस सब जिंदा हैं।।
बदले हैं दारोगा, बदले
आज पंच परमेश्वर।
लूट रहे हैं गांव
बन गए हैं प्रधान रामेश्वर।
जमींदार जिंदा अब तक
जिंदा कारिंदा हैं।।
दो बैलों की जोड़ी तो अब
गांवों से है गायब।
कर्ज ट्रैक्टर का वसूलने
आए हैं नायब।
लोन बैंक का पड़ा गले
फांसी के फंदा हैं।।
आत्माराम खोजते तोता,
रोती बूढ़ी काकी।
घर वालों ने किया बेदखल
पीस रही हैं चाकी।
जैसे थे पहले वैसे
अब भी पसमिंदा हैं।
प्रेमचंद बैठे शर्मिंदा हैं।।
- शिवचरण चौहान
कानपुर
स्वतंत्र विचारक और वरिष्ठ पत्रकार
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