31 July Premchand Birth Anniversary
Hindi Poem on Munshi Premchand
कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद जयंती पर विशेष : कलम के जादूगर मुंशी प्रेमचंद का 31 जुलाई 1880 में लमही गांव में हुआ था। आज 31 जुलाई 2025 प्रेमचंद जयंती पर विशेष प्रेमचंद पर लिखी कविता पढ़े और साझा करें। Premchand Par Kavita, 31 July Munshi Premchand Jayanti 2025 Kavita...
कलम का जादूगर मुंशी प्रेमचंद पर कविता
प्रेमचन्द
स्मृतियों में आ जाते हो,
आ जाओ फिर भारत में एक बार
हे प्रेमचन्द ! हे हिन्दी के अनुपम कथाकार।
हे राष्ट्रीय संचेतना के प्रखर स्वर,
तुम्हारे सभी पात्र कालजयी हैं,
वे अभी भी जी रहे है।
21वीं सदी के भारत में
वे अभी भी शोषण, गरीबी, भूखमरी
और कर्ज का विष पी रहे हैं।
'पूस की रात' का ठंठ से ठिठुरता तुम्हारा किसान,
आज भी फटे हाल, गरीबी से बेहाल ।
तुम्हारे गोदान के होरी की गाँय अभी भी नहीं आयी है।
सूदखोर बैंकर खन्ना अभी भी जीता है।
देशी खाता है,
विदेशी पीता है।
हे कृषक संस्कृति के अनुरागी !
मजदूरों किसानों के हमदर्द।
मुझे याद है तुम्हारे 'सोज़े वतन' की तुम्हारी विद्रोही जुबानी,
क़फ़न की कहानी,
तुम्हारे कथा का ढपोरशंख
आज भी धर्म की धज्जी उड़ा रहे हैं
जनता को उल्लू बना रहे हैं।
कथा को जीवन के यथार्थ से
और यथार्थ को आदर्श से जोडने वाले
हे यथार्थ आदर्शोन्मुख कथा साहित्य के प्रणेता
आओ जाओ फिर एक बार
फूक जाओ आत्मा को झकझोर कर जगा देने वाला 'शंखनाद'
और दिखा दो वह 'जीवन का सार' जिससे भारत से
शोषण, भय, भ्रष्टाचार का शमन हो।
हे कथा सम्राट, तुम्हे शत शत नमन हो।।
- शिवकरण दूबे 'वेदराही'
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