Poem on Hindi : Rail gaadi Hindi Ki
रेलगाड़ी हिन्दी की : Rail gaadi Hindi Ki Kavita
चल पड़ी हिन्दी रेलगाड़ी
जामुन आम अनारस कटहल
या मांगो बनारसी साड़ी
पूरी की हर मांग हमारी।
चल पड़ी हिन्दी रेलगाड़ी
नदी, पहाड़, जंगल पार जाती
बारिश, धूप तूफान भी झेलती
कुट-पुट- बुट से है घबराती
बट को बराबर बुट कह देती॥
चल पड़ी हिन्दी रेलगाड़ी-
कान उमेठे अंग्रेजी?
परेशान है बेचारी
लड़ न पाती, सीधी सादी हिन्दी हमारी-
पूरी करे सब मांग हमारी।
मुन्नी ने मांग कर ली हिन्दी से
परहेज छोड़ो पुलिस, लाठी-यूध से-
उन्हें क्यों पुरुष का दरजा न देती
अगर तुम हो हिन्दी भोली भाली
पूरी करो ये मांग हमारी
चल पड़ी हिन्दी रेलगाड़ी॥
- जलज भादुड़ी
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