Bal kahani in Hindi Sachhi Saheli : Short Story On True Friendship With Moral In Hindi
बाल कहानी सच्ची सहेली : सच्ची दोस्ती की एक कहानी बच्चों के लिए हिन्दी में सच्ची सहेली। डॉ. फहीम अहमद की बाल कहानी सच्ची सहेली। हिन्दी बाल कहानी सच्ची सहेली। Dr. Faheem Ahmad Children's Stories in Hindi, Friendship Story in Hindi, Dosti Ki Kahani, Friendship Story In Hindi, Bal Kahani Sachhi Saheli in Hindi...
हिन्दी बाल कहानी सच्ची सहेली : Bal Kahani Sachhi Saheli
सच्ची सहेली
निन्नी गिलहरी अपने कोटर में आराम कर रही थी। थकान की वजह से उसे झपकी आ गई। तभी अपनी सहेली चुँचू चुहिया की आवाज उसे सुनाई पड़ी, जो पेड़ के नीचे खड़ी जोर-ज़ोर से उसे पुकार रही थी। निन्नी अलसाई हुई उठी और कोटर से निकलकर बाहर आई। चुँचू काफ़ी घबराई हुई थी। परेशानी उसके चेहरे पर साफ़ झलक रही थी। निन्नी के कुछ पूछने से पहले ही वह बोल उठी, “निन्नी बड़ा ग़ज़ब हो गया। हम दोनों ने मिलकर खाने का जो सामान बरसात के लिए इकट्ठा किया था, वह चोरी हो गया। चोरों ने मूँगफली का एक दाना तक न छोड़ा। सारे सामान पर हाथ साफ़ कर गए।"
यह सुनकर निन्नी को बड़ा दुःख हुआ। एक-एक दाना बटोरने में उन्हें कितनी मेहनत करनी पड़ी थी, दिन-रात एक कर दिया था दोनों ने ।इसे वह खुद जानती थी या चुँचू। पर अब तो सारी मेहनत पर चोरों ने पानी फेर दिया था।
चुँचू ने निन्नी को ढाढस बंधाते हुए कहा, “निराश न हो निन्नी, हम फिर से मेहनत करके भोजन इकट्ठा कर लेंगी।" निन्नी सोचते हुए बोली, "बरसात शुरू होनेवाली है। अब दोबारा मेहनत करके भी हम उतना भोजन नहीं जुटा पाएँगी, जिसे हम बरसात भर आराम से खा सकें। तुम तो जानती ही हो कि बरसात में भोजन ढूँढ़ना कितनी टेढ़ी खीर होती है। अगर हमारा भोजन चोरी न होता हमारी बरसात मजे से कटती।"
चुँचू उसे समझाते हुए बोली, "अभी हमारे पास कुछ दिन का समय है। थोड़ा-बहुत भोजन तो हम इकट्ठा कर ही लेंगी।" निन्नी सहमत हो गई।
वे दोनों भोजन की तलाश में निकल पड़ीं। थोड़ी दूर जाने पर निन्नी रुक गई। रास्ते में ब्रेड का एक छोटा सा टुकड़ा पड़ा था।
निन्नी बोली, “चुँचू देखो, यह ब्रेड का टुकड़ा तुम्हें याद है, लाल रंग की यह ब्रेड हम लोग काफ़ी दूर से लाई थीं। चोर जो भी हो, है आस-पास का ही। तभी उसने ब्रेड यहाँ खाई है और छोटा टुकड़ा गिर गया है। "
चुँचू उसकी बात काटती हुई बोली, "यह भी तो हो सकता है कि ले जाते वक़्त चोर के हाथ से यह टुकड़ा गिर गया हो। " निन्नी बोली, “हाँ, हो तो यह भी सकता है।"
दोनों निराश होकर आगे बढ़ चलीं। आगे दो रास्ते थे। एक तरफ़ निन्नी चल पड़ी, एक तरफ़ चुँचू। दोनों ने शाम को इसी मोड़ पर मिलने का वादा किया।
निन्नी कुछ ही दूर चली थी कि रास्ते में उसे उसकी पुरानी सहेली रानी कोयल मिली। वह निन्नी की परेशानी भाँप गई। उसने पूछा, “क्या बात है निन्नी, काफ़ी परेशान दिख रही हो।" निन्नी ने उसे भोजन चोरी होने की सारी घटना बता दी। रानी ने उसे सांत्वना दी और जल्द ही चोर का पता लगाने का वादा भी किया निन्नी आगे बढ़ चली। रानी भी अपने घर चली गई।
शाम को निन्नी और चुँचू मोड़ पर मिले। निन्नी के मुँह में नारियल का एक छोटा टुकड़ा था। चुँचू को कुछ नहीं मिला था।
रानी कोयल ने सभी पर नज़र रखना शुरू कर दिया। कुछ ही दिन में उसे लगा कि हमेशा भोजन की तलाश में रहने वाला यह पेटू कालू कौआ आजकल दिन भर पेड़ पर बैठा काँव-काँव करता रहता है। जरूर कुछ दाल में काला है। रानी का शक सही निकला। उसने कालू का चुपचाप पीछा किया तो देखा कि पुराने बरगद के कोटर में घुसकर कालू ने अपना पेट भरा और फिर आकर पेड़ पर बैठ कर काँव- काँव करने लगा। कालू के जाते ही रानी ने कोटर में जाकर देखा तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गई। अन्दर चुँचू आराम से बैठी रोटी कुतर रही थी।
रानी फौरन वहाँ से भाग आई। उसे सारा माजरा समझ में आ चुका था। भोजन की चोरी चुंचू और कालू की मिलीभगत से हुई थी। रानी ने निन्नी को सारी बात बताई तो वह भी हैरत में पड़ गई। निन्नी ने रानी का शुक्रिया अदा किया। चोरी का राज खुलते ही चुँचू और कालू वहाँ से फरार हो गए थे। वे दोनों निन्नी और रानी को मुँह दिखाने के क़ाबिल न थे। निन्नी और रानी की दोस्ती और गहरी हो गई। रानी ही निन्नी की सच्ची सहेली बनने की हक़दार थी।
डॉ. फहीम अहमद असिस्टेंट प्रोफेसर,हिंदी विभाग, महात्मा गांधी मेमोरियल पीजी कॉलेज, सम्भल ( उत्तर प्रदेश) 244302 drfaheem807@gmail.com |
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