Shahanshah Alam Ki Kavita : Kavi Ka Kehna
शहंशाह आलम की बेहतरीन कविता "कवि का कहना " : Shahanshah Alam Poetry Kavi Ka Kehna, Hindi Kavita Kavi Ka Kehna, Kavi Ka Kehna Hindi Poetry
कवि का कहना
अब कोई भी राजा दो मुट्ठी अन्न नहीं देता
देता भी है, तो जो अन्न की थैली होती है
उसके पूरे आयतन पर एक तस्वीर चस्पाँ होती है
जिसमें राजा मुस्करा रहा होता है खुलकर
उसकी मुस्कराहट जैसे मज़ाक़ उड़ा रही होती है अन्न का
और अस्सी करोड़ उस जनता का जो राजा की नज़र में ग़रीब है
यह कैसा राजा है जो अन्न के बदले
अपना धन्यवाद चाहता है
यह कैसा राजा है जो रसोई गैस के बदले
अपना धन्यवाद चाहता है
यह कैसा राजा है जो वैक्सीन के बदले
अपना धन्यवाद चाहता है
तभी कवि कहता है राजा से साफ़ लफ़्ज़ों में
कि तुम ग़रीब जनता से भी गए-गुज़रे हो
जनता तो फिर भी दो मुट्ठी अनाज पाकर
अपना देश अपना देश उच्चारती रहती है
और तुम हो कि अपने आभार की होर्डिंग लगवाते चलते हो
कभी पेट्रोल पम्प पर कभी गाड़ियों के पीछे
कभी शौचालय के बाहर कभी अनाज के थैले पर।
- शहंशाह आलम
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