Nadi Ki Vedna Poems by Shivcharan Chauhan : Nadi Ki Vedna Kavita in Hindi
नदी की वेदना : पांच नवगीत
Nadi Ro Rahi Hai Navgeet in Hindi : नवगीत हिंदी में नदी रो रही है
1. नदी रो रही है
कभी ध्यान से सुना कि
गंगा नदी रो रही है!
सिर्फ नदी ही नहीं कि
पूरी सदी रो रही है!!
थी उज्ज्वल पर आज
आचमन लायक नहीं रही!
थी गतिमान आज श्ल्थ है
सब जग की पीर सही!!
दुनिया भर का कलुष आज
सब नदी ढो रही है!?
आशिर्वाद हिमालय का
गंगा भू पर आई!
शस्य श्यामला हुई धरा
जब गंगा इठलाई!!
गंगा पर संकट है अब
पहचान खो रही है!!
सम्राटों के लिए आज
बलिदान हो रही है!!
Nadi Ko Saaf Rahne Do Navgeet in Hindi : नदी को साफ रहने दो नवगीत हिंदी में
2. नदी को साफ रहने दो
नदी को मत करो गंदा
नदी को साफ रहने दो।
नदी बेटी पहाड़ों की
नदी को आप बहने दो।।
नदी उतरी पहाड़ों से
धरा को धन्य करने को।
यह लाई धार अमृत की
हमें संपन्न करने को।
नहीं काटो, नहीं बांधो
नदी को माफ रहने दो।।
नदी को गर कहीं छेड़ा
ये रोएगी, कराहेगी।
नहीं गर पीर सह पाई
तो चीखेगी , चिलाएगी।
नदी से बस दुआ मांगो
नदी का शाप रहने दो।।
नदी का धर्म है बहना
निरंतर बस चले चलना।
न बिगड़े चाल, बदले रूप
नदी की अर्चना करना।
नदी वरदायिनी है, बस
नदी को साफ बहने दो।।
Ganga Ki Vyatha Navgeet in Hindi : गंगा की व्यथा नवगीत हिंदी में
3. गंगा की व्यथा
कितने पी एम, सीएम
आए, उड़ कर
चले गए!
सदियों से गंगा तट
वासी फिर फिर
छले गए!!
लाखो उड़े
करोड़ों डूबे
अरबों अरब बहे!
गंगा मैली
की मैली है किससे
कौन कहे!
बातो के गुलगुले
पकोड़े
फिर फिर तले गए!
उड़कर चले गए!!
गंगा के माथे पर
लिक्खा है अब
छल होना!
इसका कारण एक
जान्हवी का
निर्बल होना!
कितने राजा
मंत्री आए
आकर चले गए!?
मिलें नहीं चलीं
धंधे सब बाहर
चले गए!!
गंगा जमुना
रूठ गई है
दोआबा रूठा!
मानचेस्टर
यूपी का था
सब सपना टूटा!
धूल, धुआं
धूर्तता हाबी
होते चले गए!!
उड़ कर चले गए!!
Suno Bhagiratha Navgeet in Hindi : सुनो भागीरथ नवगीत हिंदी में
4. सुनो भगीरथ!
सुनो भगीरथ
गंगा तुमको
बुला रही है पास!
ऊब गई
धरती से
वापस जाएगी कैलाश।।
शिव का शीश
छोड़ आई थी
तब कितनी थी निर्मल।
आज हो गई
गन्दा नाला
भरा हुआ है दलदल।
इतनी गई
सताई , अब तक
झेल रही संत्रास।
सुनो भागीरथ!
गंगा रोती
हारी , थकी,उदास।।
काटा,बांधा
गंगा को फिर
अंग भंग कर डाला।
पावन जल को
किया अपावन
मूत्र और मल डाला।
बना दिया
गंगा को खुद
गन्दा नाला का दास।।
सुनो भगीरथ
गंगा वापस
जाएगी कैलाश।
नहीं रहेगी
धरती पर
फिर जाएगी कैलाश।।
Chalo Kabir, Utho Sidhi Se Navgeet in Hindi : चलो कबीर, उठो सीढ़ी से नवगीत हिंदी में
5. चलो कबीर, उठो सीढ़ी से
चलो कबीर
उठो सीढ़ी से
रामानंद नहीं आएंगे।
डुबकी लेकर
निकल गए वो
अब सीधे दिल्ली जाएंगे।।
रामानंद नहीं आएंगे।।
तब से लेकर अब तक
कितना पानी रोज बहा गंगा में।
बेचारा रैदास, कठौती
धोकर आया है गंगा में।
खिचड़ी खाने
तेरे घर अब
रामानंद नहीं आएंगे।।
पंडों की काशी है अब तक
झंडे इनके गड़े हुए हैं।
हार गए हैं मंडन
शंकर अब तक उनसे लड़े हुए हैं।
दिल्ली वासी
हुए विप्रवर
रामानंद नहीं आएंगे।।
लिए लुकाठी खड़े हुए हो
अब वह समय नहीं आएगा।
अपने घर को फूंक ,
कबीरा ,साथ नहीं कोई आएगा।
सुविधाओं का
स्वर्ग छोड़कर
रामानंद नहीं आएंगे।।
- शिवचरण चौहान
मनेथू, सरवन खेड़ा उप डाकघर
कानपुर देहात 209121
9369766563 फोन नंबर
6394247957 व्हाट्सएप नंबर
ये भी पढ़ें; शिवचरण चौहान के दस बाल गीत एवं संक्षिप्त जीवन वृत्त