पेड़ और बादल : पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करती बाल कहानियाँ

Dr. Mulla Adam Ali
0

Ped aur Badal Bal Katha Sahitya by Govind Sharma : Paryavaran Par Aadharit 10 Bal Kathayein (Hindi Edition) - Bal Katha Sangrah

Ped aur Badal Bal Katha Sahitya by Govind Sharma

पर्यावरण पर आधारित 10 बाल कथाएं

पुस्तक का नाम : पेड़ और बादल
लेखक : गोविन्द शर्मा
प्रकाशक : साहित्यागार (Sahityagar Publisher's)
ISBN - 978-81-7932-111-9
मूल्य : ₹ 200, Available on Amazon

पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करती बाल कहानियाँ : 'पेड़ और बादल'

भगवान ने यह सुंदर पृथ्वी हमें रहने के लिए दी है लेकिन हम अपनी जरूरतों और सुविधाओं के लिए अन्धाधुन्ध पेड़ काट रहे हैं, प्रदूषण फैला रहे हैं, प्लाष्टिक का उपयोग कर रहे हैं, जल व प्राकृतिक संपदाओं का दोहन कर रहे हैं। अगर दुनियाभर में प्राकृतिक संसाधनों का सोच-समझकर और संभलकर उपयोग नहीं किया गया तो धरती लोगों की जरूरतों को पूरा नहीं कर पायेगी और जीवन खतरे में पड़ जायेगा।

आज बाल साहित्य में भी 'पर्यावरण' केंद्रीय भूमिका में है। बचपन में ही बालकों को जब पर्यावरण से सम्बंधित बाल साहित्य की पुस्तकें पढ़ने को मिल जाती है तो वे अपने पर्यावरण के प्रति और अधिक सजग हो जाते हैं।

प्रसन्नता की बात है कि वरिष्ठ और ख्यातनाम बाल साहित्यकार श्री गोविंद शर्मा जी ने बालकों के लिए पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करती बाल कहानियाँ लिखी हैं जो 'पेड़ और बादल' नाम से बाल पाठकों के सामने है। इस संग्रह में दस कहानियाँ है— पहली कहानी 'पेड़ और बादल' है जो कि पुस्तक का शीर्षक भी है। इसके साथ ही 'जल कंजूस', 'नीम का बीज', 'जल चोर', 'हमें हमारा घर दो', 'पत्ते नहीं कान', 'बच गए कुआँ और पेड़', 'पेड़ और पत्थर', 'पेड़ बच गया' एवं 'अमृता ने बचाये पेड़' शीर्षक कहानियाँ है जो न सिर्फ बच्चों का परिचय हमारे आस-पास के वातावरण से कराती है अपितु उन्हें अपने वातावरण, पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजग भी करती है। इन कहानियों का सीधा सन्देश यही है कि पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने में हम खुद रोज कितना योगदान देते हैं?

संग्रह की सभी कहानियाँ पर्यावरण पर छाए खतरों से परिचित कराती है और उसके संरक्षण के लिए विभिन्न पहलुओं पर पर्याप्त प्रकाश डालती है। कहानियाँ बालकों ही नहीं बड़ों को भी यह सन्देश देने में सफल हुई है कि, 'प्रण करें कि हम अपनी धरती और पर्यावरण की रक्षा 44 करेंगे।" आने वाली पीढ़ी के लिए हरी-भरी और खुशहाल धरती ही हमारी ओर से बहुमूल्य उपहार होगी।

श्री गोविंद जी शर्मा बाल साहित्य जगत् के ख्यातनाम हस्ताक्षर है। बच्चों के लिए उनकी लगभग पैंतीस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है एवं राज्य व केंद्रीय साहित्य अकादमी भी हिन्दी बाल साहित्य के सर्वोच्च सम्मान से आपको सम्मानित कर चुकी है। बच्चों के बाल मनोविज्ञान को समझे बिना उनकी जरूरतों को नहीं समझा जा सकता। बाल साहित्य के लिए संवेदना के अलग धरातल की जरूरत होती है । गोविंद शर्मा जी इसमें सिद्धहस्त हैं। उनकी कहानियाँ मानव मूल्यों की नींव रखती हुई, बालक के मन को ही नही छूती बड़ों को भी प्रभावित करती है। सहज, सरल, बोधगम्य भाषा में लिखी इनकी कहानियों में वो सब होता है जो एक बालक पसंद करता है । आपकी कहानियाँ बच्चों के मन की बात करती है, उनका मनोरंजन करती और वैज्ञानिक ढंग से उनकी समझ का परिष्कार भी करती है। यही कारण है कि आपकी कहानियाँ तेजी से पाठकों के दिल में जगह बना लेती है और उन्हें पाठकों, समीक्षकों, संपादकों का भी प्यार दुलार मिलता है।

आशा है कि श्री गोविंद जी शर्मा की बच्चों के लिए लिखी कृति 'पेड़ और बादल' अन्य कृतियों की तरह ही पाठकों का प्यार पाएगी और बाल साहित्य जगत् इस कृति को भी उतना ही सम्मान देगा, जितना अन्य कृतियों को मिला है। शुभकामनाएँ-

- राजकुमार जैन राजन
लेखक, संपादक, प्रकाशक, चित्रा प्रकाशन
आकोला -312205 (चित्तौड़गढ़) राजस्थान

'पेड़ और बादल' बाल कथा संग्रह के बाल साहित्यकार गोविंद शर्मा का कथन

मेरा कथन : गोविन्द शर्मा

सन् 1972 में बालकथा लेखन की यात्रा शुरू की थी, जो अब तक जारी है और उम्मीद करता हूँ, जब तक कलम चला सकूँगा यह सफर जारी रहेगा। कुछ बाल नाटक और कुछ बाल-कविताएँ भी लिखी, पर उनका एक-एक संग्रह आया है । बाल-साहित्य की 32 पुस्तकें बालकथा संग्रह ही हैं।

'पेड़ और बादल' बालकथा संग्रह है। इसमें पर्यावरण से संबंधित बालकथाएँ हैं। मेरी अधिकांश पुस्तकें स्व. श्री रमेश चंद्र वर्मा के साहित्यागार एवं उनके सहयोगी प्रकाशनों से प्रकाशित हुई हैं। प्रकाशन विभाग भारत सरकार का प्रतिष्ठित भारतेन्दु पुरस्कार मुझे पांडुलिपि पर सन् 1999 में मिला था। उसे पुस्तक रूप में " कालू कव्वा एवं अन्य कहानियाँ" नाम से साहित्यगार ने प्रकाशित किया था। मेरे बालकथा संग्रह "सबका देश एक है" पर राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर से शंभूदयाल सक्सेना बाल-साहित्य पुरस्कार मिला था। इसका प्रकाशन भी साहित्यागार ने किया था । इसी प्रकाशन शृंखला में सन् 2017 में स्व. श्री रमेश चन्द्र वर्मा के संस्थान साहित्य चंद्रिका प्रकाशन ने 'काचू की टोपी' नाम से एक बालकथा संग्रह प्रकाशित किया था। इस बालकथा संग्रह को केन्द्रीय साहित्य अकादमी का हिन्दी बाल-साहित्य पुरस्कार सन् 2019 प्राप्त हुआ। इस संस्थान की एक विशेषता यह भी है कि प्रकाशन उत्कृष्ट और बाल - पाठकों के लिये आकर्षक होता है।

अब साहित्यागार एवं उसके सहयोगी संस्थानों के सर्वेसर्वा युवा एवं विनम्र श्री हिमांशु वर्मा हैं, उनके निर्देशन में मेरा यह बालकथा संग्रह आया है । कहानियाँ आप पढ़ें, बच्चों से पढ़वाएँ — यह साहित्य की सेवा तो है ही, संपूर्ण मानवता की भी सेवा है, क्योंकि पर्यावरण बचाने की जरूरत एवं जिम्मेदारी किसी एक व्यक्ति या एक देश की नहीं अपितु संपूर्ण मानव समाज की है।

- गोविंद शर्मा

'पेड़ और बादल' बाल कहानी संग्रह का अनुक्रम : 1. पेड़ और बादल बाल कहानी 2. जल कंजूस बाल कहानी 3. नीम का बीज बाल कहानी 4. जल चोर बाल कहानी 5. बाल कहानी हमें हमारा घर दो 6. पत्ते नहीं, कान हिंदी बाल कहानी 7. बच गये कुआँ और पेड़ बाल कहानी 8. पेड़ और पत्थर बाल कहानी 9. पेड़ बच गया बाल कहानी 10. अमृता देवी ने बचाए वृक्ष बाल कहानी

ये भी पढ़ें; पर्यावरण को समर्पित उत्कृष्ट बाल कथाएँ : पेड़ और बादल

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top