Heart touching poem on Elderly People : Bujurgon Ka Samman Par Kavita
बुजुर्गों के सम्मान पर रितु वर्मा की कविता : हमारी परंपरा है बुजुर्गों का सम्मान करना। बुजुर्गों सदैव मार्गदर्शन मिलता है प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से। कविता कोश में लेकर आए हैं बुजुर्गों के सम्मान पर लिखी गई रितु वर्मा की हिंदी कविता। Ritu Verma Poetry Bujurgon Ka Samman, Kavita Bujurgon Ka Samman, Hindi Poetry on elderly people, Kavita on elderly people in Hindi...
Bujurgon Ka Samman Par kavita : बुजुर्गों के सम्मान पर कविता
बुजुर्ग
घर की रौनक घर के बुजुर्गों से होती हैं।
उनके हर पल कि डाँटो में भी
उनकी बेहिसाब फिक्र छुपी होती हैं।
उनका रोकना-टोकना तो हमें
बिल्कुल बेफिजूली सी लगती है।
पर उनकी इस सवाल-जवाबों में
उनकी परवाह छुपी होती हैं।
उनके इस बेहिसाब प्रश्नों के घेरे से
हम हर बार यूँही परेशान से हो जाते है।
पर उनका हर बार यू रोक-टोक करते रहना
मन में आक्रोश सा भर देता हैं।
हम समझ नहीं पाते कभी ये कि
उनकी इन सारी बातों के पीछे
उनका बेशुमार प्यार छुपा होता है।
जो कुछ बताने और पूछने कि जगह
उनके सवालों से जाहिर होते रहता है।
और हम नादान इसे समझने कि जगह
उन्हें ही अपना बैरी समझने की भूल कर देते हैं।
एहसास तो हमें ये तब होता है,
स्मृतियाँ बन आती है उनकी वो सारी बातें बार-बार
जो कभी घर देर से आने या देर से खाना खाने पर
हम पर भी बेहिसाब सवालों कि झड़िया लगाया करते थे।
और हम भी खामोशी से चुपचाप अपनी गलतियों को
चुपचाप सुना करते थे।
कभी-कभी उनकी ये सारी बातें जब बेतुकी सी लगती थी
तब उनसे इन्हीं बातों में बहस सी हो जाती थी।
पर उनके इन्हीं बातों कि फटकार जीवन में न मिले तो
तब हमें हमारे जीवन में सवालों के माध्यम से
हमारी परवाह करने वाला साथ कोई नहीं होता है।
तब मानों ऐसा लगता है,
कि इस इतनी बड़ी दुनियां में हम बिल्कुल अकेले हैं।
तब ये बात समझ आती है,
कि जीवन में बड़े-बुजुर्गों की भूमिका हमारे जीवन में
कितनी अहम है।
इनके न होने कि कल्पना मात्र से ही
ये जीवन बिल्कुल नीरस सा लगता हैं।
हम समझ ही नहीं पाते उनके होने कि अहमियत को
और जब तक हम उनकी अहमियत को समझ पाते है,
तब तक ये वक्त गुजर सा जाता हैं।
- रितु वर्मा
नई दिल्ली
ये भी पढ़ें; बच्चों में मूल्य निर्माण और अभिभावकों के उत्तरदायित्व