Shivcharan Chauhan Children's Poetry in Hindi : Bal Geet in Hindi
शिवचरण चौहान के दस बाल गीत : करीब 35 साल से बच्चों के लिए लेखन और उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान सहित करीब एक दर्जन संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत, वरिष्ठ पत्रकार शिवचरण चौहान जी द्वारा बच्चों के लिए दस बाल गीत आपके समक्ष प्रस्तुत है। बाल गीत बच्चों के लिए हिंदी में पढ़िए और साझा कीजिए।
1. हिंदी बाल गीत री चिरैया : शिवचरण चौहान
री चिरैया
अरी चिरैया चल उड़ चल।
अपनी टोली में जुड़ चल ।।
दाने भरी हुई धुनिया।
चुग ले चुग ले ललमुनिया।
फुर्र फर्र घर को मुड चल।।
अरी चिरैया
ची ची चूं करते बच्चे।
कितने सुंदर हैं अच्छे।
बुला रहे तुमको उड़ चल।।
अरी चिरैया
लोरी एक सुना दे अब।
सो जायेंगे बच्चे तब।
कुड मुड कुड़ मुड कुड मुड चल।।
अरी चिरैया
चल उड़ चल।।
2. हिंदी बाल गीत टिटहरी का गीत : शिवचरण चौहान
टिटहरी का गीत
टिट टिटहरी टिट टिटहरी
टी टी टी टी बोले।
उड़े गगन में ऊंचे चिड़िया
पंख हवा में तोले।।
नहीं टिटहरी बैठा करती
कभी किसी भी पेड़ में।
बैठा करती टीले ऊपर
कभी खेत की मेड़ में।
नन्हें नन्हें बच्चे इसके
लगते कितने भोले।।
पंख हवा में तोले।।
लाल चोंच है,पीठ सिलेटी
और पैर हैं पीले।
ताल किनारे रहती
फिर भी पैर न करती गीले।
अरी टिटहरी घर अा मेरे
बिस्तर में अा सो ले।।
पंख हवा में तोले।।
3. हिंदी बाल गीत किलकिला (पक्षी गीत) : शिवचरण चौहान
किलकिला (पक्षी गीत)
किल्ल किलकिला, किल्ल किलकिला
किल्ल किलकिला बोले।
गिरे ताल में छप्प किलक़िला
चोंच वारि में खोले।।
गप्प गड़म कर जाता मछली
एक बार में पूरी।
जल के ऊपर आसमान में
उड़ता सौ गज दूरी।
चतुर निशानेबाज शिकारी
किल किल किल किल बोले।।
चोंच नदी में खोले।।
पेट , चोंच कत्थई रंग की
और पंख हैं नीले।
रंग बिरंगा नन्हा पंछी
रंग सभी चमकीले।
यह है मछली खोर
पंख रहता है हरदम खोले।।
चोंच झील में खोले।।
4. हिंदी बाल गीत कागज की चिड़िया : शिवचरण चौहान
कागज की चिड़िया
यह मेरी कागज की चिड़िया
करती मुझसे प्यार।
न कुछ खाती, न कुछ पीती
उड़ती पंख पसार।।
रंग बिरंगे पर हैं इसके
रंग-बिरंगे पैर।
आसमान , सूरज ,चंदा तक
कर आती है सैर।।
कभी कभी तो वायुयान भी
जाता इससे हार।।
करती मुझसे प्यार।।
मेरे संग बिस्तर में सोती
संग हमारे रहती।
जो कहता हूं वह करती है
नहीं कभी कुछ कहती।
कागज के अंडे, बच्चे हैं
करती खूब दुलार।।
करती हमसे प्यार।।
ट्विटर पर इसकी फोटो है
सबको खूब पसंद।
नहीं कभी पिजड़े में इसको
हम करते हैं बन्द।
संदे शे पहुंचाती हरदम
सात समन्दर पार।।
करती मुझसे प्यार।।
5. हिंदी बाल गीत पिल्ले और बिल्ले : शिवचरण चौहान
पिल्ले और बिल्ले
दो गोरे सफेद पिल्ले हैं
काली काली कुतिया के।
दोनों पिल्ले खेल रहे हैं
घर में बैठे मुतिया के ।।
तभी बिलौटी लेकर आई
अपने संग नन्हे बिल्ले।
दोनों पिल्ले भौंक रहे है
डरते हैं नन्हे बिल्ले।।
दौड़ रहे चूहे के पीछे
नन्हे नन्हे दो बिल्ले।
इन बिल्लों के पीछे पीछे
दौड़ रहे दोनों पिल्ले।।
पिल्ले ,बिल्ले, बिल्ले पिल्ले
नन्हें नटखट चिल बिल्ले।।
गिनता ,गिनती नानू बैठे
दो पिल्ले हैं, दो बिल्ले।।
6. हिंदी बाल गीत बर्फी या रसगुल्ला : शिवचरण चौहान
बर्फी या रसगुल्ला
दादी कहती बर्फी अच्छी
दादा जी रसगुल्ला।
दोनों लड़ते इसी बात पर
बर्फी या रसगुल्ला।।
एक किलो खाती हैं बर्फी
एक बार में दादी।
दादा, सौ रसगुल्ले खाते
पहन के कुर्ता खादी।।
दादी गाना गाती
ढोलक बजा रहे हैं दादा।
दूध पी गए तीन किलो
कहते हैं ,नहीं है ज्यादा।।
दादा कहते भैंस बड़ी है
दादी कहती गाय।
पर अब बैठे बैठे दोनों
सुड़क रहे हैं चाय।।
7. हिंदी बाल गीत इचक दाना, बीजक दाना : शिवचरण चौहान
इचक दाना, बीजक दाना
इचक दाना, बीजक दाना
दाने ऊपर दाना।
किस भुट्टे का स्वाद निराला
दादा जी बतलाना।।
यह मकई का भुट्टा इसके
सोने जैसे दाने।
यह भुट्टा है खड़ी ज्वार का
मोती जैसे दाने।।
और बाजरे का भुट्टा ये
लगता बड़ा सुहाना।।
इ चक दाना ---
खड़े खेत में झूम रहे
ये भुट्टे मतवाले।
इन भुट्टो को भून भून कर
खाते किस्मत वाले।
तोते आए, मैना आई
खाने इनका दाना।।
बनती इनसे रोटी, बनते
तरह तरह पकवाना।
इचक दाना
पीच क दाना।।
8. हिंदी बाल गीत हाथी बना है मुर्गा : शिवचरण चौहान
हाथी बना है मुर्गा
हाथी बना हुआ है मुर्गा
चींटी जी के सामने।
गलती की है हाथी जी ने
चींटी जी के सामने।।
अंडा लेकर चींटी निकली
चढ़ती थी दीवाल में।
अंडा गिरा दिया चींटी का
हाथी जी ने ताल में।।
चींटी घुसी सूंड में काटा
हाथी जी बेहाल हैं।
मांग रहे माफी चींटी से
बहुत बुरे अब हाल हैं।।
चींटी बोली हाथी बेटा
बहुत बड़े हो गुर्गा तुम।
माफ करूंगी तभी, बनोगे
कान पकड़कर मुर्गा तुम।।
बना हुआ था मुर्गा हाथी
चींटी जी के सामने।
यह घटना है मुझे बताई
आज शाम को राम ने।।
9. हिंदी बाल गीत हाथी और शेर : शिवचरण चौहान
हाथी और शेर
हाथ पकड़कर कहा शेर से
हाथी जी ने इतना।
मारूं एक तमाचा
हो जाएगा चींटी जितना।।
हरदम गुर्राता रहता है
करता रहता हमला।
पकड़ तुम्हें भिजवा दूंगा मैं
आया सर्कस कमला।।
हाथ जोड़कर शेर कह रहा
सबके हाथी दादा।
मानूंगा हर बात तुम्हारी
ऊधम करूं न ज्यादा।।
भूख बहुत लगती है मुझको
खाता रूखा सूखा।
राशन कार्ड मुझे बनवा दो
मरूं न जिस से भूखा।।
10. हिंदी बाल गीत नन्हा नानू : शिवचरण चौहान
नन्हा नानू
छोटे-छोटे हाथ मिले हैं
छोटे छोटे पैर।
नन्हा नानू निकल पड़ा है
करने को अब सैर।।
गिर पड़ता है फिर उठता है
चलता फिरता, रोता।
हंसने लगता कभी-कभी यह
पड़े पड़े जब सोता।
डेढ़ साल का अभी हुआ है
बनता है पर दादा।
सुपर समझता है अपने को
पापा से भी ज्यादा।।
कभी मचल जाता मम्मी से
गोद नहीं है आता।
और कभी दादी की
गोदी में आकर छिप जाता।।
सभी खिलौने इसे चाहिए
सारे घर का खाना।
किलक रहा है, थिरक रहा है
खेलों का दीवाना।।
Shivcharan Chauhan Short Biography in Hindi : Shivcharan Chauhan Jivan Parichay
शिवचरण चौहान : संक्षिप्त जीवन वृत्त
पूरा नाम : शिवचरण सिंह चौहान
पिता का नाम : स्व. रघुनाथ सिंह
जन्मतिथि : 26 - 12 - 1959
शिक्षा : एम.ए., बीएड
★ पत्रकारिता दैनिक स्वतंत्र भारत, कानपुर में 1962 से 2000 तक
★ रिपोर्टर / उपसम्पादक / वरिष्ठ संवाददाता के रूप में कार्यरत। कई उल्लेखनीय, खोज पूर्ण रिपोर्टों / समाचारों के कारण चर्चित। फीचर पृष्ठ का संपादन प्रस्तुतिकरण।
★ दैनिक अमर उजाला, कानपुर में 2003 से 2013 तक प्रादेशिक डेस्क में सह इंचार्ज, फीचर डेस्क, कोआर्डिनेशन डेस्क इंचार्ज तथा ब्यूरो चीफ के पद पर कार्यरत। खोजपूर्ण खबरों के लिए चर्चित। फीचर व युवा साहित्य पृष्ठों का सम्पादन।
★ श्री टाइम्स (राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक) लखनऊ में 2013 से समाचार सम्पादक के रूप में कार्यरत।
★ भाषा, वर्तनी, व्याकरण के बारे में विशेष ज्ञान।
लेखन विधाएं : कहानी, कविता, लेख, नाटक, ललित निबंध।
प्रकाशन : करीब 1000 रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं- धर्मयुग, सारिका, सरिता, नवनीत, कादम्बिनी, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, मधुमती, अक्षरा, साहित्य भारती, बालक, बालभारती, नंदन, पराग, चम्पक, नन्हें सम्राट, बालवाणी, बालहंस, चकमक, ठकठक, हसंती दुनिया, कुटकुट, अच्छे भैया, बच्चों का देश, बालवाटिका आदि पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित।
★ बाल साहित्य की 2 पुस्तकें प्रकाशित दुनिया के मशहूर विदूषकों की कथाएं तथा बहादुर बे टी।
★ पांच किताबें प्रकाशन के लिए प्रकाशक के पास
पुरस्कार : उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान सहित करीब एक दर्जन संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत।
★ करीब 25 किताबें प्रकाशित
स्थाई पता :
शिवचरण चौहान
मनेथू, सरवन खेड़ा, कानपुर देहात - 209121
मेल: shivcharany2k@gmail.com
मोबाइल : 6394247957, 9369766563
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