ज़िदगी का 'सफ़र' : आसान नहीं होता ये सफर कि दूरी तय करना - रितु वर्मा

Dr. Mulla Adam Ali
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Zindagi Ka Safar Poem by Ritu Verma

Zindagi Ka Safar Poem by Ritu Verma

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Safar Zindagi Ka Kavita in Hindi

सफर

कुछ न होने के सफर से 

कुछ बन जाने के सफर में 

बहुत सी अनकहे उतार-चढ़ाव

जीवन में करनी पड़ती हैं। 

पाने से पहले क़ीमती रिश्ते 

अनगिनत शौक और आदतें 

को त्यागना पड़ता है,

फिर अंत मे जाकर 

कामयाबियों की सीढ़ी चढ़ी जाती हैं।

और तब तक न जाने कितनी 

मानसिक यातनाएं झेली जाती हैं। 

आसान नहीं होता ये सफर कि दूरी तय करना 

हर एक दिन खुद को खुद से लड़कर 

खुद ही में संघर्ष करना पड़ता हैं। 

तब जाकर लबों पर हल्की हसीं लिए 

खुद को फिर से अपने ही रणभूमि में 

उतरने के लिए तैयार करना पड़ता हैं।

मंजिल पाने कि खबर तो नहीं होती 

पर उस उम्मीद में खुद को हर दिन 

शिद्दत से तैयार करना पड़ता हैं। 

- रितु वर्मा

नई दिल्ली

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