धरती और मानव कविता : डॉ. परशुराम शुक्ल की कविता

Dr. Mulla Adam Ali
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Dr. Parashuram Shukla Poetry in Hindi : Dharti aur Manav Par Kavita

Poem on Earth in Hindi

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Poem on Earth in Hindi : Dharti aur Manav Kavita

धरती और मानव


धरती मां ने जन्म दिया है,

धरती मां ने पाला है।

किन्तु हाय हमने धरती का,

सर्वनाश कर डाला है॥


जिन वृक्षों ने धरती मां के,

गहरे जख्मों को पाटा। 

बड़े बेरहम होकर हम ने,

ऐसे वृक्षों को काटा।।


हरे भरे लहराने वाले,

वृक्ष वस्त्र हैं धरती के।

सबकी रक्षा करने वाले,

वृक्ष शस्त्र हैं धरती के॥


बिना वसन के मां बेटों से,

कैसे आंख मिलायेगी?

अभी संभल जा मूरख मानव,

वरना यह मर जायेगी॥


आंधी, तूफां, बाढ़, बवण्डर,

इसे नष्ट कर जायेंगे।

नष्ट अगर धरती होगी तो,

हम सब भी मिट जायेंगे।।

- डॉ. परशुराम शुक्ल

बाल साहित्यकार,

भोपाल (मध्यप्रदेश)

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