Mass Media and Hindi : Jansanchar Madhyam aur Hindi
National Hindi Day
जनसंचार माध्यम और हिंदी : राष्ट्रीय हिन्दी दिवस (14 सितंबर) और विश्व हिन्दी दिवस (10 जनवरी) पर जनसंचार माध्यमों में हिंदी की स्थिति पर विशेष लेख "जनसंचार माध्यम और हिंदी" पढ़े और साझा करें। Mass Media and Hindi, Jansanchar Madhyam aur Hindi...
जनसंचार माध्यम और हिन्दी
देश में हिंदी के अखबार सर्वाधिक पढ़े जाते हैं। हिंदी अखबारों में भी 'दैनिक जागरण' देश में सर्वाधिक पढ़ा जाता है। इसके पाठक 5.42 करोड़ है और यहाँ देश के 11 राज्यों में प्रसारित होता है। इसके बाद हिंदी के अन्य समाचार पत्र आते हैं।
हिंदी पत्रकारिता का इतिहास राष्ट्र के साथ निर्मित हुआ है। पत्रकारिता ने राष्ट्र प्रेम के प्रति जो जनमत तैयार किया है उसी से हिंदी तथा हिंदी पत्रकारिता का भविष्य उज्ज्वल दिखाई दे रहा है।
वर्तमान 21वीं सदी सूचना एवं क्रान्ति की है। इन आयामों को और नई दिशाओं को उद्घाटित कर रहे हैं। तार, टेलिफोन, मोबाईल सिनेमा, टेलीविज़न, रेडियो, आडियो-वीडियो, कंप्यूटर, ए.टी.एम. मशीन, ई-मेल, एजुसेट नेटस्केप लिंक, इंटरनेट आदि संचार माध्यम हिंदी क्षेत्र में विराट रूप धारण कर चुके है। यह सब उपकरण हिंदी को वैश्विक भाषा बनाने में रामबाण सिद्ध हुए।
1. रेडियो : रेडियो पर हिंदी में प्रसारित कार्यक्रमों ने लाखों लोगों को हिंदी सीखने पर मजबूर कर दिया।
2. टेलीविज़न : टेलीविज़न दृश्य-श्रव्य माध्यमों में सबसे सशक्त संचार माध्यम हैं। अनेक चैनल्स के विविध हिंदी कार्यक्रमों ने लोगों को हिंदी सीखने के लिए बाध्य कर दिया।
3. हिंदी सिनेमा : हिंदी फिल्म उद्योग 'बॉलीवुड' ने भी भारतीय सभ्यता व संस्कृति के विभिन्न चित्रों को उकेरा हैं।
4. संगणक या कंप्यूटर : व्यवहारिक सत्यता, शुद्धता, तीव्रता, विश्वनीयता, सुंदरता तथा सागर को गागर में भरने की क्षमता रखने वाली मशीन को संगणक या कंप्यूटर कहा जाता है। कंप्यूटर सूचना क्रान्ति का ध्वज वाहक है।
5. इंटरनेट प्रणाली : वे दिन खत्म हो गए, जब हम इंटरनेट पर हिंदी की वेबसाईट ढूंढते रह जाते थे-इंटरनेट पर मातृभाषा की दो चार पंक्तियाँ पढ़ पाने की साध बनी रहती थी। अब इस जगत जाल पर हिंदी की पताका ऊँची होती चली जा रही है। हिंदी में अब इंटरनेट प्रणाली के माध्यम से विभिन्न कंप्यूटर तंत्र आपस में जोड़े जा सकते हैं। इसमें सूचनाओं तथा आकड़ों का आदान-प्रदान किया जाता है। वर्तमान समय में इंटरनेट पर हिंदी में आन-लाइन परीक्षा देने की तथा फार्म भरने की सुविधा भी हो गई हैं। हिंदी भाषा के विकास को इससे नई दिशा मिली है।
6. देवनागरी में वेब : विश्व पटल पर वेब दुनिया के आगमन से इंटरनेट जगत पर देवनागरी लिपि की यहाँ तक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
7. हिंदी ई-मेल की सुविधा : इंटरनेट पर लोगों और कम्प्यूटरों के बीच सूचना का आदान-प्रदान ई-मेल कहलाते हैं। यहाँ सर्वाधिक प्रयुक्त किया जाने वाला इंटरनेट संसाधन है। देवनागरी में ई-मेल सुविधा के लिये सॉफ्टवेर कंपनी 'सुवि इंफरमेशन कंपनी सिस्टम इंदूर' ने हिंदी देवनागरी में निःशुल्क ई-मेल सेवा आरंभ की है।
8. सूचना प्रौद्योगिकी की क्रांति : सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति से राजभाषा विभाग ने केंद्र सरकार के कार्यालयों के कामकाज में हिंदी भाषा के प्रयोग में बढावा देने के लिए हिंदी साफ्टवेर भी विकसित किया। जिससे इच्छुक कर्मचारी आसानी एवं प्रसन्नता से अपना काम हिंदी में कर सकता है। इस विभाग ने सूचना प्रौद्योगिकी का लाभ 'सी डैक' के माध्यम से हिंदी प्रेमी तक पहुंचाया है।
9. पेजिंग व्यवस्था : पेजलिंग कंपनी ने हिंदी देवनागरी में पेजिंग सेवा प्रारम्भ की है। यह सेवा दिल्ली व समीपस्थ नोईडा, गुडगाँव, फरीदाबाद, गाजियाबाद में उपलब्ध है। शीघ्र ही इसे भारत के प्रत्येक गाँव तक पहुंचा दिया जाएगा तथा हिंदी प्रयोग को प्रोत्साहन मिलेगा। सूचना क्रांति के इस युग में मल्टीमीडिया 'गुरू' भी काफी उपयोगी सिद्ध हो रहा है।
10. तकनीकी क्षेत्र : तकनीकी क्षेत्र पर पहले से केवल अंग्रेजी या अन्य भाषाओं का प्रभाव तथा वर्चस्व रहा है। अब इस क्षेत्र में हिंदी ने भी अपना स्थान जमाया है।
11. यूनिकोड टेक्नोलॉजी : यूनिकोड टेक्नोलॉजी के आगमन से अब कंप्यूटर में हिंदी के लिए भी यूनिवर्सल कोड उपलब्ध है, जिससे हिंदी में कार्य और भी आसान हो गया है।
www.rajbhashaa.nic.in से हम हिंदी सीख सकते हैं और इस पर व्याकरण और शब्दकोड भी उपलब्ध है। इसके अलावा हिंदी से जुडी अनेक वेबसाइट भी उपलब्ध है।
12. फैक्स प्रणाली : इस इलेक्ट्रानिक प्रणाली द्वारा कोई सूचना लिखित रूप में विश्व के किसी भी भाग में यांतयर द्वारा भेजी जाती है। इस यंत्र द्वारा पूरा-पूरा पृष्ट, चित्र डाक्यूमेंट पत्र कुछ सेकंड में हू-ब-हू एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाया जा सकता हैं।
13. पत्रकारिता जगत : पत्रकारिता जगत में हिंदी की विकास यात्रा को देखकर हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि "हिंदी भारत के विराट व्यक्तित्व का अनमोल स्वर है, समन्वय सूत्र है। यह भारतीय जन- मानस की जाह्नवी, प्रेम की मंदाकिनी है। इसमें देश की एकता सन्निहित है। यही राष्ट्र की केंद्रीय शक्ति है।"¹
स्वतंत्रता के बाद हिंदी पत्रकारिता अनेक चुनौतियों का सामना करती हुई आज ऐसे मुकाम पर पहुँच गई है, जहां विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि इसका मार्ग प्रशस्त हुआ है। हिंदी पत्रकारिता का स्वरूप दिनोदिन निखर रहा है। ठाकुर दत्त शर्मा आलोक के अनुसार "इस तरह हिंदी पत्रकारिता का भविष्य उज्ज्वल जान पड़ता है। किंतु देखना यह है कि स्वातंत्रोत्तर पत्रकारिता पाठकों के लिए उपयोगिता, प्रभावोत्पादिकता, विश्वसनीयता, सम्मान, मानव अधिकार दिलाने, रोचकता और पठनीयता की दृष्टि से, किस तरह वरदान सिद्ध हो सकती है तथा सामाजिक प्रतिबद्धता में विवेक, क्षमता, समाज-सेवा, त्याग निष्पक्षता, राष्ट्रीयता, लक्ष्यपूर्णता, उत्तरदायित्व, आत्मबल और रचनात्मकता के उदात्त मूल्यों को कैसे उजागर करती है?"²
हिंदी के लिए निश्चित तौर पर यह गौरव का विषय है कि उसके दो मूर्धन्य साहित्यकारों अमरकांत और श्री लाल शुक्ल को सहित्य के सर्वोच्च ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। इसके पहले नामवर सिंह को यह पुरस्कार मिला है। हिंदी के संदर्भ में उपरोक्त सभी विचारों को देखते हुए हम यह कह सकते हैं कि इक्कीसवी शती के हिंदी साहित्य का भविष्य सुनहरा, उज्ज्वल और गौरवमयी है।
संदर्भ;
1. अर्जुन तिवारी-हिंदी पत्रकारिता का बृहद इतिहास पृ. 4
2. ठाकुर दत्त शर्मा 'आलोक'- हिंदी पत्रकारिता एवं जन संचार - पृ. 17
- ए. माधवी
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