किसान के विषय पर बेहतरीन कविता : Kisan Par Kavita - Farmer Poem Hindi

Dr. Mulla Adam Ali
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Kisan Par Kavita : Farmer Poem Hindi - Dr. Parashuram Shukla Poem on Farmer

Kisan Par Kavita

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Kisan Par Kavita : Farmer Hindi Poem

किसान


मानवता का सच्चा सेवक,

श्रम से गहरा नाता,

सहकर सर्दी, गर्मी, वर्षा,

फसलें सदा उगाता,


गेहूँ, चावल, ज्वार, बाजरा,

जो कुछ घर में आता,

दालें, सब्जी और मसाले,

सब किसान उपजाता,


दूर शहर से छोटे-छोटे

गाँवों में यह रहता,

सहता जीवन भर अभाव पर,

कभी नहीं कुछ कहता,


देश धर्म की रक्षा करता,

परम्परा का ज्ञाता,

नैतिकता को धर्म मानकर,

अपना धर्म निभाता,


खुद रूखा सूखा खाता है,

सब जग को दे देता,

नहीं लिखा किस्मत में मेरी,

मन को समझा लेता,


ईश्वर की इच्छा पर निर्भर,

है किसान की खेती,

कभी-कभी भोले किसान को,

यह भारी दुख देती,


जीव-जन्तु, जंगल के पक्षी,

सब उत्पात मचाते,

ओले सूखा अतिवर्षा भी,

फसल नष्ट कर जाते,


भोला-भाला प्रकृति पुत्र यह, 

समझ नहीं कुछ पाता,

फसल अगर बरबाद हुई तो,

बिना मौत मर जाता,


मानव की सेवा करके यह,

मानव धर्म निभाता,

लेकिन बदले में मानव से,

कभी नहीं कुछ पाता,


इसके बारे में कुछ सोचो,

सत्ता को समझाओ,

श्रम साधक सच्चे मानव का,

जीवन सफल बनाओ,

- डॉ. परशुराम शुक्ल

बाल साहित्यकार,

भोपाल (मध्यप्रदेश)

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