श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता - भगवान कृष्ण पर पोएम कान्हा
Krishna Par Kavita
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता : Poem On Krishna Janmashtami In Hindi
कान्हा
हे कान्हा!
तुम इस धरती पर यू ऐसे अगर आए न होते।
कैसे होता ज़न का कल्याण?
आते ही तुम्हारे इस धरती पर
हुआ चारों ओर प्रेम और
ममता का आगाज।
सीखा सब ने प्रेम में जीना
और प्रेम में बेवजह ही समर्पित हो जाना।
इतिहास गवाह है तुम्हारे
प्रेम बलिदान और सूझ-बुझ कि
और जो तुमने किया लोक-कल्याण।
भले जन्म हुआ तुम्हारा कारावास में
पर पहुंच गए तुम वृंदावन में
किया तुमने ग्वालों का कल्याण।
रक्षा की तुमने गोकुलवासियों की
फैलाया चारों और सत्य प्रेम और विकास।
जब जब सृष्टि में बुराई-अधर्म का बढ़ा बढ़ावा धीरे-धीरे।
तभी तुमने सही समय पर आकर
लोगों को सही मार्ग दिखाया।
चाहे हो द्वारिका हो या हस्तिनापुर
सब और तुमने लोगों में बस
प्रेम ही प्रेम करना सिखाया।
भले तुमने अपने जीवन में कई कष्ट और यातनाएं झेली पर मनुष्यों को बस तुमने प्रेम ही सर्वस्व है,
जीवन में य़ह सार बतलाया।
धर्म और और अधर्म का बना रहे
एक दायरा इसलिए तुमने महाभारत के ही जरिए अर्जुन के समय से ही सही-गलत का उपदेश है दिया।
भविष्यत काल के थे तुम ज्ञाता
मालूम हो गया था तुम्हें उस पल में
पड़ेगी जरूरत आने वाली इस कलयुग में तुम्हारी।
इसलिए पहले ही तुमने अर्जुन को द्रौपर युग में जो उपदेश है दिया।
उपदेश अहम है हर प्राणी के जीवन में इसलिए तुमने य़ह उपदेश है दिया।
युगों-युगों की समस्याओं का निवारण जिसमें है तुमने किया।
जब भी मनुष्य में भय-क्रोध और दुःख निराशा हुआ
तब तुमने इन सबका हल अपने इन
उपदेश के माध्यम से हमें समझाया।
आए जीवन में चाहे कैसी
भी परिस्थितियां चाहे हो वो पल
सुख के हो या फिर हो दुःख के
कभी जीवन में अभिमान या हताश न होना।
होगा सृजन जीवन में फिर से एक
अच्छे समय की ये उम्मीद जीवन में हम सब कभी न खोना ये हमें बताया हैं।
- रितु वर्मा
नई दिल्ली
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