Mera Ghar Kavita : मेरा घर कविता - डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल

Dr. Mulla Adam Ali
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Dr. Girirajsharan Agarwal Poetry in Hindi : Mera Ghar Kavita

Mera Ghar Kavita in Hindi

Dr. G. S. Agarwal Ki Kavita Mera Ghar : घर चाहे खुद का या किराए का सबको अपना घर प्यारा लगता है, घर एक ऐसी जगह है जहां इंसान अपने आपको आरामदायक और सुरक्षित महसूस कर सकता है। आज आपके लिए लेकर आए हैं डॉ. गिरिराज शरण अग्रवाल की बेहतरीन कविता "मेरा घर", घर पर कविता, अपना घर कविता हिंदी में, हिंदी बाल कविता मेरा घर, My House Poem in Hindi, Mera Ghar Kavita in Hindi, Bal Kavita Mera Ghar, Giriraj Sharan Agarwal Poetry in Hindi Mera Ghar...

Mera Ghar Kavita in Hindi : कविता मेरा घर

मेरा घर

देखो ये है मेरा घर

सब कुछ है इसके भीतर


मम्मी, पापा, दादा जी

साथ-साथ सब रहते हैं

अपने मन की बात सभी

मिल-जुलकर ही कहते हैं

केवल इन दीवारों से

बनता नहीं किसी का घर।


ये छोटा सा घर मेरा

किसी महल से अच्छा है

प्यार भरी सूखी रोटी

यहाँ मलाई-लच्छा है

कष्ट नहीं कोई हमको

नहीं किसी का हमको डर।


सुबह - सुबह चिड़िया प्यारी

गाती गीत, जगाती है

आलस छोड़ो उठो सभी

यही बात समझाती है

जाना है स्कूल तुझे

छूटा काम उसे तू कर।


घर के बाहर बगिया में

सुंदर-सुंदर फूल खिले

मस्त हवा जब चलती है

कली-कली से गले मिले

महक लुटाती हैं बेलें

खुश्बू से भर जाता घर।

- डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल

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