Dr. Parashuram Shukla Kids Poems in Hindi : Bal Kavita
चार बाल कविताएं : बच्चों के लिए सर्वश्रेष्ठ चार बाल कविताएँ 1. प्रकृति का संदेश 2. नीम का वृक्ष 3. फूल 4. बाढ़। परशुराम शुक्ल की चार बाल कविताएँ, प्रकृति का संदेश बाल कविता, नीम का वृक्ष बाल कविता, फूल बाल कविता, बाढ़ बाल कविता। Bal Kavita In Hindi, Dr. Parashuram Shukla Children's Poetry, Hindi Bal Kavitayen, Hindi Bal Sahitya, Bal Geet in Hindi..
Famous Bal Kavita In Hindi : Children's Poetry Hindi - Kids Poems
Poem on Nature in Hindi : Prakruthi Ka Sandesh Kavita - प्रकृति का सन्देश कविता
1. प्रकृति का सन्देश
सूरज रोज निकलता क्यों है?
चन्दा क्यों छिप जाता है?
आसमान का हर एक तारा,
क्या सन्देशा लाता है?
सूरज कहता मुझको देखो,
रोज मिटाया जाता हूँ।
फिर भी नित्यनियम से अपने,
नया सवेरा लाता हूँ।।
चन्दा कहता मेरी छाया,
मीठी नींद सुलाती है।
थके हुए बोझिल तन मन में,
नयी चेतना लाती है।।
आसमान का इक-इक तारा,
यह सन्देशा लाता है।
मानव का मानव से रिश्ता,
मानवता कहलाता है।।
Poem on Neem Tree in Hindi : Neem Ka Ped Kavita in Hindi, Neem Kavita - नीम का वृक्ष कविता
2. नीम का वृक्ष
खड़ा हुआ है घर आँगन में,
नीम वृक्ष अद्भुत अलबेला।
लाभ सैकड़ों पहुँचाता है,
मानव को यह वृक्ष अकेला।।
नीम वृक्ष की शीतल छाया,
तन के सारे रोग मिटाती।
दाँत करो यदि साफ़ नीम से,
मुँह की सारी बदबू जाती।।
इसकी पत्ती वाले जल से,
बच्चो ! नियमित नित्य नहाओ।
अपनी करो निरोगी काया,
और त्वचा के रोग मिटाओ।।
गीली पत्ती रख अनाज में,
कीड़ों से फुरसत पा जाओ।
और जला कर सूखी पत्ती,
मक्खी, मच्छर मुफ़्त भगाओ।।
नीम वृक्ष की लकड़ी से भी,
बनती चीजें बड़ी निराली।
सस्ती, सुंदर और टिकाऊ,
घर में लाती है खुशहाली।।
नीम वृक्ष से लाभ उठाओ,
और दूसरों को भी बाँटो।
लेकिन हरे भरे वृक्षों को,
जीवन में तुम कभी न काटो।।
Poem on Flower in Hindi : Fool Par Kavita - फूल पर कविता
3. फूल
रंग-बिरंगे फूल हमेशा
बागों में मिल जाते हैं।
मन को अच्छी लगने वाली,
खुशबू खूब लुटाते हैं।।
तितली से बातें करते हैं,
झूम-झूम इतराते हैं।
कभी देवता पर चढ़ते हैं,
कभी हार बन जाते हैं।।
बच्चो, हमको फूल हमेशा,
एक बात बतलाते हैं।
सारी दुनिया को महकाओ
अभिनव सबक सिखाते हैं।।
Poem on Flood in Hindi : बाढ़ के विषय पर बेहतरीन कविता
4. बाढ़
खूब झमा झम, खूब झमा झम
बरसा पानी बरसा पानी।
बाढ़ आ गई खेती डूबी,
याद आ गई सबको नानी।।
कुछ के तो घर द्वार ढह गए,
कुछ के ढोर ले गया पानी।
रोते बूढ़े माली काका,
रोते अब्दुल, गोपी, जॉनी।
छोटी रीना भी रो बैठी
देख हुई मुझको हैरानी।
कारण भीग गई थी उसकी
प्यारी प्यारी गुड़िया रानी।।
- डॉ. परशुराम शुक्ल
बाल साहित्यकार,
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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