Dr. Parashuram Shukla Ki Bal Kavitayen in Hindi : Children's Poetry
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बच्चों के लिए लोकप्रिय तीन बाल कविताएँ : Bal Kavita Hindi
Bal Kavita Holi Festival : Festival of Colours Holi Poems in Hindi - होली पर बाल कविता
1. होली रंगों का त्योहार
राजू लाल गुलाल उड़ाता।
मोनू हरा रंग बरसाता।
सोनू जल की करे फुहार।
होली रंगों का त्योहार।
गीता पीला रंग बनाती।
नीता पिचकारी ले आती।
और डालती मोटी धार।
होली रंगों का त्योहार।
कोई बनता पीला काला।
कोई भूत बने मतवाला।
सब बच्चों में खुशी अपार।
होली रंगों का त्योहार॥
Poem on Rasgulla Bal Kavita : रसगुल्ला बाल कविता
2. रसगुल्ला
गोल-गोल रस में उतराता
रसगुल्ला भइ रस गुल्ला।
खाते इसको बड़े स्वाद से,
रमजानी, रामू, लल्ला।।
काला, पीला, लिए सफेदी,
कई रंग दिखलाता है।
लेकिन मुँह के भीतर जाकर
यह फौरन घुल जाता है।।
इसीलिए तो दादा-दादी,
इसे प्यार से खाते हैं।
रसगुल्ला - रसगुल्ला कह कर,
सबको खूब चिढ़ाते हैं।।
Poem on Fan in Hindi : पंखा बाल कविता
3. पंखा
नटखट पंखा खटखट करता,
हरदम शोर मचाता है
लेकिन गर्मी के मौसम में,
सबके मन को भाता है।।
बिजली खाकर ए.सी.डी.सी,
ठण्डी हवा चलाता है।
नन्हे मुन्ने हम बच्चों को,
मीठी नींद सुलाता है।।
कभी लटकता छत के नीचे,
कभी मेज पर गाता है
कभी बन्द कूलर के भीतर,
चुपके से छिप जाता है॥
नटखट पंखा खटखट करके,
हमको यह सिखलाता है।
सेवा करने से ही बच्चो,
सच्चा सुख मिल पाता है।।
- डॉ. परशुराम शुक्ल
बाल साहित्यकार,
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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