Main Adivasi Naari Kavita in Hindi : Nidhi Mansingh Poetry in Hindi
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मैं! आदिवासी नारी
मैं! आदिवासी नारी हूँ
कभी डर से भी ना हारी हूँ।
घनें जंगल, नदियां, पहाड़
हाथी, गीदड़, शेर बघार,
उन सब पर मै भारी हूँ
मैं! आदिवासी नारी हूँ।
तितली बन जंगल मे उड़ती
नदियों से दौड़ लगाती हूँ।
हिरनी सी बनकर फुर्तीली
पहाड़ों पर चढ जाती हूँ।
कूकू करती कोयल सी प्यारी हूँ
मैं! आदिवासी नारी हू।
चुनती हूँ महुआ के फूल
खुशबू से जीवन महकाती हूँ।
निर्जन - वन प्रदेश है मेरा
पर मै ना कभी घबराती हूँ ।
फूलों से भरी एक क्यारी हूँ
मैं! आदिवासी नारी।
- निधि 'मानसिंह'
कैथल हरियाणा
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