Kavita Bhuli Bisri Yaadein : Kunal Meena Poetry
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भूली बिसरी यादें
अक्सर जब मै! अकेला होता हूँ
तो चली आती है मेरी तन्हाइयां
मेरा दिल बहलाने के लिए।
धीरे-धीरे कुछ ख्वाब कुछ यादें
चली आती है मेरे दुख और
मेरे दर्द भुलाने के लिए।
अक्सर जब मै! अकेला होता हूँ
तो चले आते हैं कुछ साथी मेरे
मुझे अपने वक्त और अपनी
बातों से रिझाने के लिए।
धीरे-धीरे कुछ ठंडी हवा के
झोंके, चले आते हैं लेकर
खुशबू, मुझे गहरी नींद में
सुलाने के लिए।
अक्सर जब मै! अकेला होता हूँ
चली आती है मेरी तन्हाइयां
मेरा दिल बहलाने के लिए।
- कुनाल मीना
दौसा, राजस्थान
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