Trilok Singh Thakurela Poetry in Hindi : Trilok Singh Thakurela Ki Kavitayen
त्रिलोक सिंह ठकुरेला की पाँच कविताएँ : त्रिलोक सिंह ठकुरेला हिन्दी कविताएँ 1. कठपुतली 2. हमारा परिवार 3. जोकर 4. तुम्हें बहुत आगे जाना है 5. मेरे सपने। कठपुतली हिन्दी कविता, हमारा परिवार हिंदी कविता, जोकर हिंदी कविता, तुम्हें बहुत आगे जाना है हिंदी कविता, मेरे सपने हिंदी कविता। त्रिलोक सिंह ठकुरेला की रचनाएँ, हिन्दी कविता, कविता कोश, राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत त्रिलोक सिंह ठकुरेला की कविताएं, सुपरिचित कवि एवं कुण्डलियाकार त्रिलोक सिंह ठकुरेला की कविताएं, राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा 'शम्भूदयाल सक्सेना बाल साहित्य पुरस्कार प्राप्त त्रिलोक सिंह ठकुरेला की कविताएं। Trilok Singh Thakurela Poetry in Hindi, Hindi Poetry, Hindi Kavita, Kavita Kosh, Hindi Poems by Trilok Singh Thakurela...
कठपुतली हिन्दी कविता : त्रिलोक सिंह ठकुरेला की कविता कठपुतली : Poem on Puppet by Trilok Singh Thakurela
1. कठपुतली
ठुमक-ठुमक नाचे कठपुतली
सबके मन को मोहे।
रंग बिरंगे सुन्दर कपड़े
उसके तन पर सोहे।।
हाथ नचाती, पैर नचाती,
रह रह कमर घुमाती।
नये नये करतब दिखलाकर
सबका मन बहलाती।।
उसे थिरककर नचा रहे हैं
आशाओं के धागे।
सपनों के नव पंख लगाकर
बढ़ती जाती आगे।।
तुम भी व्यर्थ सोचना छोड़ों
मिलकर खुशी मनाओ।
जीवन का हर दिन उत्सव है,
झूमों, नाचो, गाओ।।
हमारा परिवार हिंदी कविता : त्रिलोक सिंह ठकुरेला की कविता हमारा परिवार - Trilok Singh Thakurela Poem Hamara Parivar
2. हमारा परिवार
छोटा सा परिवार हमारा,
जिसमें दादा-दादी।
हमें बोध की कथा सुनाते
हर दिन सीधी-सादी।।
पिता कमाई करते हर दिन,
घर की चीज़ें लाते।
फल, नमकीन, मिठाई लाकर
जब तब हमें खिलाते।।
घर के काम संवारे मम्मी,
देती रुचिकर खाना।
कुछ कुछ नया सिखाती हर दिन
खोलें ज्ञान-खजाना।।
मैं, भैया विद्यालय जाते,
पढ़कर नाम करेंगे।
जिससे हो कुछ भला देश का
ऐसे काम करेंगे।।
जोकर हिंदी कविता : त्रिलोक सिंह ठकुरेला की कविता जोकर - Poem on Joker by Trilok Singh Thakurela
3. जोकर
एक हाथ में छड़ी घुमाता।
जोकर आया हंसता गाता।।
रंग-बिरंगे कपड़े पहने।
पहने था वह नकली गहने।।
लाल नाक पर बिन्दी पीली।
बना रखी थीं भौंह कटीली।।
मुख सफेद, आंखें थी नीली।
चुस्त कमीज, पैन्ट कुछ ढ़ीली।
शंक्वाकार टोप सिर पर धर।
लगा हंसाने वह रह रहकर।।
दिखलाये उसने जब करतब।
हुए हंसी से लोटपोट सब।।
जोकर बनना एक कला है।
खुशी बांटना बड़ा भला है।।
प्रेरणादायक कविता तुम्हें बहुत आगे जाना है : त्रिलोक सिंह ठकुरेला की कविता तुम्हें बहुत आगे जाना है - Hindi Motivational Poem by Trilok Singh Thakurela
4. तुम्हें बहुत आगे जाना है
उठो, उठो, अब आलस छोड़ो,
ये सोने के पिंजर तोड़ो,
तुम्हें बहुत आगे जाना है।
छोड़ निराशाओं की धरती,
संकल्पों के पर दृढ़ करके,
तुम्हें आस का नभ छूना है,
अडिग, अकूत शौर्य से भर के,
जो अभीष्ट है, वह पाना है।
तुम्हें बहुत आगे जाना है।।
पग पग पर हैं कई चुनौती,
जीवन के इस दुर्गम पथ पर,
वीर, न रुकना, बढ़ते जाना,
तुम चढ़कर साहस के रथ पर,
कभी न किंचित घबराना है।
तुम्हें बहुत आगे जाना है।।
अपनी भाग्य-लकीरें गढ़ना
अपनी कर्मठता के बल पर,
विज्ञ समय का मूल्य समझते,
टाल न देना तुम कुछ कल पर,
आज, अभी नवयुग लाना है।
तुम्हें बहुत आगे जाना है।।
जो चलता है, वही पहुँचता,
ध्येय-शिखर को वह छू लेता,
वही नया इतिहास बनाता,
बन पाता है वही विजेता,
विजय-वरण कर मुस्काना है।
तुम्हें बहुत आगे जाना है।।
मेरे सपने हिंदी कविता : त्रिलोक सिंह ठकुरेला की कविता मेरे सपने - My Dream's Poem by Trilok Singh Thakurela
5. मेरे सपने
मेरे मन की उर्वर भू पर
हर दिन सपने उग आते हैं।
आशाओं के पंख लगाकर
नये क्षितिज तक ले जाते हैं।।
नभ-पिण्डों से बातें करके
छा जाती है मन मस्ती।
होगा एक दिवस ऐसा भी
वहाँ बसेगी अपनी बस्ती।।
इस धरती से अन्य ग्रहों तक
अक्सर होगा आना जाना।
तन मन में रोमांच भरेगा
वहाँ पहुंचकर वापस आना।।
एक एक कर नभ-पिण्डों से
हमें और भी प्यार बढेगा।
धरती से उठ दूर गगन तक
हम सब का संसार बढ़ेगा।।
दूर नक्षत्रों की धरती पर
हम खोजेंगे नये खजाने।
मानवता के हित में होंगे
अपने सारे ताने बाने।।
- त्रिलोक सिंह ठकुरेला
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