दिवाली पर बाल कविता : जल उठे दीप - Children Poem on Diwali Festival

Dr. Mulla Adam Ali
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Children Poem on Diwali Festival

Deepawali Bal Kavita

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Bal Kavita on Diwali Festival : Deepawali Poem

जल उठे दीप

देखो - देखो आई दीवाली 

जगमग - जगमग दीप जले। 

डरकर भागा घना अंधेरा, 

जब दीपो के फूल खिले। 


लड्डू, बर्फी, पेडा, रसगुल्ला

चुन्नु - मुन्नु मजे से खाये। 

अनार, फुलझड़ी बड़े पटाखें 

ताली बजा - बजा जलाये। 


मम्मी - पापा, दादा - दादी 

 सब मिलकर पूजा करते। 

हाथ जोड़कर नमन करें सब 

ईश्वर हम सबके दुख हरते। 


रोशनी का त्यौहार दीवाली 

खुशियां लेकर आता है। 

सुख - समृध्दि से जीवन भर दे 

सबके मन को भाता है। 


- निधि "मानसिंह" 

कैथल, हरियाणा

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